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प्रश्नोपनिषद

प्रश्नोपनिषद- (Prashnopanishad)

यह उपनिषद अथर्ववेद से सम्बन्धित है। अवांतर (संवादात्मक) भाषा शैली मे है। महर्षि “पिप्पलाद” से 6 ऋषि प्रश्न पूछने आते है। इसीलिए इसका नाम प्रश्नोपनिषद पडा।

मुख्य विषयः-  रयि व प्राण की अवधारना, पंचप्राण, छः प्रश्न और उनके उत्तर

छः ऋषि  - 1. कात्य पुत्र  कबंन्धी  2. भृगु पुत्र वैदर्भि  3. अश्वल पुत्र कौशल्य 4. सोर्य पुत्र .गार्ग्य 5. शिवि पुत्र . सत्यकाम  6. भारद्वाज गोत्र पुत्र सुकेशा ये छ: व्यक्ति 'पिप्पलादि' ऋषि के पास गए। पिप्पलाद ऋषि ने उन्हें तप, ब्रह्मचर्य व श्रद्धा से एक वर्ष तक अभ्यास करने के उपरान्त प्रश्न पूछने को कहा।

छः ऋषि के 6 प्रश्न तथा महर्षि “पिप्पलाद द्वारा दिए गए उन प्रश्नो के उत्तर इस प्रकार है।

1. कात्य पुत्र कबन्धी- प्रश्न न0 1 - ये प्रजा किससे उत्पन्न हुई है (सृष्टि के प्रारंभ में)?

उत्तर- सृष्टि की उत्पत्ति के लिए प्रजापति ने तप किया। इस 'तप' से “मिथुन” उत्पन्न हुआ। मिथुन = रयि + प्राण

रयि व प्राण की अवधारना- (Concept of rayi and prana)
    रयि       -          प्राण
1. चन्द्रमा         -   सूर्य
2. भोग्य शक्ति -   भोकक्‍ता शक्ति, प्रेरित शक्ति
3. दक्षिणायन    -   उत्तरायण
4. पितृयान        -   देवयान
5. प्रेय (सांसारिक स्वर्ग) -  श्रेय (मोक्ष)
6. प्रवृति मार्ग     -  निवृति मार्म
7.  रात               -   दिन
8. कृष्ण पक्ष       -  शुक्ल पक्ष
9. विकृति           - प्रकृति 
10. अन्न व खाद्य - अग्नि, अत्ता (खाने वाला)  
11. वॉर्य              -   अन्न

परमात्मा या ब्रह्म की दृष्टि से सभी वस्तुएँ रयि हैं।  प्रजापति के तप के द्वारा रयि व प्राण उत्पन्न हुए। इस उपनिषद में 'सृष्टि विज्ञान का उपदेश है। तीन लोकः- i. पितृलोक ii. चन्द्रलोक (स्वर्गलोक) iii. ब्रह्मलोक (मोक्ष) हैं। मोक्ष प्राप्ति के साधन ब्रह्मचार्य, तप, श्रद्धा व उत्तमज्ञान हैं।  वर्ष को 'पितर' कहा गया है, ऋतु उसके पैर हैं।
2. भृगु पुत्र वैदर्भि- प्रश्न न0 2-  प्रजा को कौन धारण करता है? , प्रजा को प्रकाशित कौन करता है?, प्रजा से सर्वश्रेष्ठ कौन है?
उत्तर- प्राण ही प्रजा को धारण करता है। प्राण ही प्रजा को प्रकाशित करता है। तथा प्राण ही सर्वश्रेष्ठ है।

प्राण की उपमा स्तंभ से की है। प्रश्नोपनिषद में 'प्राण' मुख्य है। क्षत्र शक्ति व ब्रह्म शक्ति का आधार प्राण है। आरंभ में आसानी से इन्द्रियों को प्राण के कथन पर श्रद्धा नहीं होती, इंद्रियां जब ज्यादा परेशान करती है तो प्राण निकलना चाहता है तब जाकर 'इंद्रियों' को “प्राण” पर श्रद्धा होती है। तब प्राण इंद्रियों में प्रेम होता है। ज्ञान, बल और शुभाशुभ कर्म आदि सभी शरीर में प्राण रहते ही होते हैं, प्राण न रहने पर कुछ, नहीं होता।  'रज' व 'वीर्य' के साथ 'प्राण' न मिले तो गर्भ की स्थापना नहीं हो सकती। मनुष्य प्राण की स्वार्थ रहित सत्ता पर विचार और अनुकरण करने से ही अच्छी बुद्धि का मालिक बना रहता है।

3. अश्वल पुत्र कौशल्य- प्रश्न न0 3- प्राण कहां से उत्पन्न होता है? , यह शरीर में कैसे आता है? , किस प्रकार अपने अलग-अलग विभाग करके शरीर में ठहरता है?, प्राण शरीर से कैसे निकलता है?, बाहरी जगत (संसार) को कैसे धारण करता है?, अध्यात्म जगत / आत्मा को किस प्रकार धारण करता है?

उत्तर-  प्राण की उत्पत्ति आत्मा से हुई है, प्राण आत्मा की परछाई है।, प्राण शरीर में आत्मा के कारण आता है।, आत्मा ही उसे अलग-अलग कार्यो में नियुक्त होता है।, सुषुम्ना नाड़ी से प्राण (उदान) निकलता है।, ब्रह्मण्ड की दृष्टि से प्राण को आदित्य कहा है, आत्मा जगत को आदित्य, वायु, पृथ्वी, आकाश तेज के रूप में धारण करता है। अन्य प्राण तेज,चित्त व आत्मा को अपने संकल्प से अलग-अलग ले जाता है। प्राण की दो शक्तियाँ हैं i. शारीरिक (तेज) ii. मानसिक (चित्त), प्राण शरीर में आत्मा, तेज, चित्त को ले जाता है।

प्राण के अलग-अलग विभाग :-
a. अपान:- गुददा व उपस्थ दो स्थानों पर रहता है। इसका कार्य नीचे रहता है।
b. प्राण:- प्राण आँख, नाक, मुख, नासिका में रहकर कार्य करता है।
c. समान:- शरीर के मध्य भाग में रहकर, अन्न को रस में परिवर्तित करता है। उस रास्ते 7 ज्योति उत्पन्न होती हैं 2 नाक, 2 नाक, 2 आंख, 1 मुख है
d. व्यान:- पूरे शरीर में व्याप्त है सभी गाड़ियों में रक्त संचरण करता है।
e. उदान:- मृत्यु के समय नाड़ी से प्राण निकलता है।
(सुषुम्ना से उदान प्राण निकलता है।)

प्राण  -  आदित्य को धारण करता है।
अपान - पृथ्वी को धारण करता है।
समान - आकाश को धारण करता है।
व्यान  - वायु को धारण करता है।
उदान  - तेज को धारण करता है। 

4. सौर्य पुत्र गार्ग्य- प्रश्न न0 4- गार्ग्य स्वप्नावस्था के बारे में प्रश्न पूछे-  इस स्वप्नावस्था में कौन सोते हैं?, कौन जागता रहता है?, कौन स्वप्नों को देखता है?, किसको इस अवस्था में सुख होता है?, किसमें सब स्थित होते हैं?

 उत्तर- सोता है- मन, जागता है-  प्राण , स्वपन देखता है-  मन,  सुख होता है- आत्मा को, सब स्थित होता है- आत्मा में आत्मा सब का आधार है।

5. शिवि पुत्र सत्यकाम- प्रश्न न0 5- ओमकार की उपासना से व्यक्ति किस लोक को जीत लेता है?

उत्तर- ओंमकार में तीन मात्राएँ हैं:- अ, उ, म। इन तीनों का ध्यान करने से 'मृत्युभान' हो जाता है।

मात्राएँ-  i. एकमात्रा  - अ
             ii. द्विमात्रा - अ+उ
             iii. त्रिमात्रा  - अ+उ+म
लोक -  i. पृथ्वी लोक (मनुष्य लोक)
           ii. चन्द्रलोक (समलोक)
           iii. सूर्यलोक (ब्रह्मलोक)
वेद  -  i. ऋग्वेद
          ii. ऋग्वेद + यजुर्वेद  
          iii. ऋग्वेद + यजुर्वेद + सामवेद

 इनसे क्रमश:- जगत सुख, मानसिक शान्ति व ब्रह्म प्राप्ति होती है।

6. भारद्वाज पुत्र सुकेश- प्रश्न न0 6- 16 कलाओं से युक्त पुरुष कहाँ रहता है?

 उत्तर- 16 कलाओं से युक्त पुरुष इस शरीर में रहता है
16 कलाएँ- क्रमश:- प्राण, श्रद्धा, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, इन्द्रियाँ मन, अन्न, वीर्य, तप, मन्त्र, कर्म, लोक, नाम।

Continuous.....

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