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कुण्डलिनी जागरण के उपाय

  कुण्डलिनी शक्ति के बारे में यह तो निश्चित ही है कि इस कुण्डलिनी शक्ति के द्वारा मनुष्य की चेतना स्तर ऊँचा उठाया जा सकता है, साधक अपनी प्रतिभा को इतना विकसित कर सकता है कि अपने प्राकृतिक स्वभाव से निकटतम सम्बन्ध स्थापित कर वैश्विक चेतना से एकाकार हो सकता है।  तत्र के अनुसार कुण्डलिनी को कई तरह के उपायों द्वारा जाग्रत किया जा सकता है एक उपाय को छोड़कर, क्योंकि वह है जन्म से यदि किसी की कुण्डलिनी जाग्रत हो। कुण्डलिनी जागरण के उपायों का वर्णन इस प्रकार है। 1. जन्मजात कुण्डलिनी जागरण- आत्मज्ञान सम्पन्न माता पिता के घर में ऐसी सन्तान हो सकती है जिसकी कुण्डलिनी जन्म से ही जाग्रत हो। अगर शिशु का जन्म आंशिक जाग्रति के साथ हो तो उसे संत कहा जाता है। परन्तु कुण्डलिनी के पूर्ण जाग्रति होने पर उसे अवतार या भगवान के पुत्र के रुप में जाना जाता है। जिस बच्चे के जन्म से कुण्डलिनी जाग्रत होती है, उसके विचार उच्च तथा स्पष्ट दृष्टिकोण वाले होते है, यह जीवन के प्रति पूर्णरूप से अनासक्त भाव वाला होता है, उसका दृष्टिकोण असामान्य होता है। योगाभ्यास के द्वारा मानव अपने जीवन के स्तर को उच्च कर सकता है, क्योंक

कुण्डलिनी का अर्थ, परिभाषायें, योग विज्ञान के अनुसार कुण्डलिनी का स्थान

कुण्डलिनी की अवधारणा ( Concept of Kundalini ) प्रत्येक योग साधक की कुण्डलिनी जागरण की प्रक्रिया के प्रति अगाध जिज्ञासा रहती है। प्रत्येक योग अनुयायी अवश्य ही यह इच्छा मन में संजोए रखता है कि वह भी कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत कर इसकी विभूतियों तथा उपलब्धियों से लाभान्वित हो सके। परन्तु कुण्डलिनी शक्ति तभी जाग्रत हो पाती है जब मन को वास्तव में कामनाओं तथा वासनाओं से मुक्त कर लिया जाए। जब कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत हो जाती है तो मन, प्राण और जीव के साथ सुषुम्ना में प्रवेश करता है और चिद्आकाश में ही सारा प्रत्यक्ष दर्शन होता है। कुण्डलिनी योग में सम्पूर्ण शरीर में संग्रहित शक्ति का भगवान शिव के साथ यथार्थ में मिलन होता है। परन्तु साधकों की महती अभिलाषा व आकांक्षा के बावजूद ऐसे कुछ गिने चुने ही होते है। जो सफलतम रीति से कुण्डलिनी जाग्रत कर पाये हों। अधिकतर साधको को शाब्दिक एवं बौद्धिक सन्तोष ही करना पड़ता है। इसका कारण कुण्डलिनी शक्ति की सही जानकारी का अभाव व उपयुक्त मार्गदर्शन का ना होना। कुण्डलिनी शक्ति मानव शरीर में आध्यात्मिक शक्ति के महत्वपूर्ण केन्द्र के कुछ ऐसे सुषुप्त बीज हैं, यदि उनका उत्कर