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Showing posts from September, 2021

सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति सामान्य परिचय

सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति अध्याय - 2 (पिण्ड विचार) सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति के अनुसार नौ चक्रो के नाम 1. ब्रहमचक्र - मूलाधार मे स्थित है, कामनाओं की पूर्ति होती हैं। 2. स्वाधिष्ठान चक्र - इससे हम चीजो को आकर्षित कर सकते है। 3. नाभी चक्र - सिद्धि की प्राप्ति होती है। 4. अनाहत चक्र - हृदय में स्थित होता है। 5. कण्ठचक्र - विशुद्धि-संकल्प पूर्ति, आवाज मधुर होती है। 6. तालुचक्र -  घटिका में, जिह्वा के मूल भाग में,  लय सिद्धि प्राप्त होती है। 7. भ्रुचक्र -     आज्ञा चक्र - वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है। 8. निर्वाणचक्र - ब्रहमरन्ध्र, सहस्त्रार चक्र, मोक्ष प्राप्ति 9. आकाश चक्र - सहस्त्रारचक्र के ऊपर,  भय- द्वेष की समाप्ति होती है। सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति के अनुसार सोहल आधार (1) पादांगुष्ठ (2) मूलाधार (3) गुदाद्वार (4) मेद् आधार (5) उड्डियान आधार (6) नाभी आधार (7) हृदयाधार (8) कण्ठाधार (9) घटिकाधार (10) तालु आधार (11) जिह्वा आधार सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति के अनुसार तीन लक्ष्य (Aim) 1. अन्तर लक्ष्य (Internal) - मेद्‌ - लिंग से उपर  एवं नाभी से नीचे के हिस्से पर अन्दर ध्यान लगाना। 2. बर्हि: लक्ष्य (Oute

सिद्ध सिद्धांत पद्धति - प्रथम उपदेश- पिण्ड उत्पति विचार

  सिद्ध सिद्धांत पद्धति सिद्ध- अर्थात्- योगी, महान पुरूष  सिद्धांत-  अर्थात् - निश्चित मत   पद्धति- अर्थात् - मार्ग अर्थात्‌ सिद्ध योगियों के निश्चित मार्ग पर चलना  सिद्ध सिद्धांत पद्धति के लेखक गुरू गौरक्षनाथ जी है। सिद्ध सिद्धांत पद्धति में छः अध्याय या उपदेश है। 1. पिण्ड उत्पति विचार  2, पिण्ड विचार  3. पिण्ड ज्ञान  4. पिण्ड धारा  5. समरसता  6. अवधूत की विशेषता  1. प्रथम अध्याय- पिण्ड उत्पति विचार- परब्रहमा की पांच आदिम शक्तियों की चर्चा की हैं (i) निजा या अनामा शक्ति -  नाम रहित, सत्य, सनातन जो नित्य है।  (ii) पराशक्ति - सृष्टि की इच्छा।  (iii) अपरा शक्ति - स्पंद के उत्पन्न होने से।  (iv) सूक्ष्म शक्ति - अंहकार भाव से निर्मित शक्ति (v) कुण्डलिनी शक्ति - मोक्ष प्रदान करने वाली जीवन मरण के बन्धन से मुक्ति देने वाली। निजा या अनामा शक्ति के पाँच गुण (i) नित्यता - जो नित्य हे सदा से चली आ रही है। (ii) निरंजना - राग, द्वेष, क्रोध, मोह से छुटना अभाव ही निरंजन है। (iii) निस्पंदना - चंचलता से रहित। (iv) निराभाजता - भेद रहित अभेद शक्ति। (v) निरूथान - परिणाम रहित शक्ति का उत्पन्न होना। प