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केनोपनिषद् (Kenopanishad) का परिचय

केनोपनिषद् वेदों के सामवेद शाखा से संबंधित है और यह तलवकार ब्राह्मण के अंतर्गत आता है। इस उपनिषद् का नाम " केन " शब्द पर आधारित है , जिसका अर्थ है " किसके द्वारा " । यह उपनिषद् मुख्य रूप से उस मूल सत्ता की खोज करता है , जो संपूर्ण ब्रह्मांड को नियंत्रित और क्रियाशील बनाती है। इसका प्रमुख विषय ब्रह्म और आत्मा का पारस्परिक संबंध है। केनोपनिषद् कुल चार खंडों में विभाजित है : प्रथम खंड - इसमें यह प्रश्न उठाया गया है कि किसके द्वारा इंद्रियाँ , मन और प्राण संचालित होते हैं। उत्तर में बताया गया है कि वह परमात्मा ही इन सबका कारण है। द्वितीय खंड - इस खंड में ब्रह्म की अपरिभाषेयता और अनुभव की महत्ता पर बल दिया गया है। यह स्पष्ट किया गया है कि ब्रह्म किसी भी इंद्रिय या मन द्वारा अनुभव नहीं किया जा सकता , बल्कि यह आत्मसाक्षात्कार से ही जाना जा सकता है। तृतीय खंड - इसमें एक कथा द्वारा ब्रह्म के सर्वोच्च स्थान को प्रमाणित किया गय...

तनाव कम करने के वैज्ञानिक तरीके (Scientific Ways to Reduce Stress)

 आज की तेज़ रफ्तार जीवनशैली में तनाव एक आम समस्या बन गया है। कामकाज का दबाव, निजी जीवन की उलझनें और अनिश्चित भविष्य लोगों में तनाव को बढ़ाते हैं। यदि तनाव को समय रहते नियंत्रित न किया जाए, तो यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। इस लेख में हम वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित तनाव कम करने के तरीके (Scientifically Proven Stress Relief Techniques) को विस्तार से समझेंगे।  तनाव का अर्थ और उसके प्रकार तनाव क्या है? तनाव (Stress) शरीर की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है, जो तब उत्पन्न होती है जब कोई व्यक्ति किसी चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना करता है। यह शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से व्यक्ति को प्रभावित करता है। तनाव के प्रकार: अल्पकालिक तनाव (Acute Stress): यह अस्थायी होता है और किसी विशेष घटना से जुड़ा होता है, जैसे परीक्षा का डर या प्रेजेंटेशन की चिंता। दीर्घकालिक तनाव (Chronic Stress): लंबे समय तक चलने वाला तनाव, जैसे वित्तीय समस्याएं या संबंधों में तनाव। सकारात्मक तनाव (Positive Stress): यह प्रेरित करता है और प्रदर्शन में सुधार लाता है। नकारात्मक तनाव (Negative Stre...

ईशावास्योपनिषद: (Ishavasyopanishad)

उपनिषद भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग हैं। वेदों के अंतिम भाग के रूप में , उपनिषद गूढ़ रहस्यों और दार्शनिक अवधारणाओं की व्याख्या करते हैं। ईशावास्योपनिषद , जो कि यजुर्वेद के शुक्ल शाखा में संकलित है , अद्वैत वेदांत के मूल सिद्धांतों को प्रस्तुत करता है। यह उपनिषद छोटा होते हुए भी अत्यंत सारगर्भित है और आत्मा , ब्रह्म और जीवन के परम उद्देश्य के विषय में गहरी समझ प्रदान करता है। नाम और अर्थ ' ईशावास्योपनिषद ' शब्द दो भागों में विभाजित किया जा सकता है : ' ईशा ' जिसका अर्थ है ' ईश्वर ' और ' वास्य ' जिसका अर्थ है ' व्याप्त ' । इसका तात्पर्य यह है कि संपूर्ण सृष्टि में ईश्वर की व्यापकता है। यह उपनिषद हमें यह समझाने का प्रयास करता है कि संसार में जो कुछ भी है , वह ईश्वर से ओत - प्रोत है। इस उपनिषद में कुल 18 श्लोक हैं , जिनमें गूढ़ दार्शनिक सिद्धांतों का समावेश है। प्रथम श्लोक ही इसकी संपूर्ण शिक्षा को ...