केनोपनिषद् वेदों के सामवेद शाखा से संबंधित है और यह तलवकार ब्राह्मण के अंतर्गत आता है। इस उपनिषद् का नाम " केन " शब्द पर आधारित है , जिसका अर्थ है " किसके द्वारा " । यह उपनिषद् मुख्य रूप से उस मूल सत्ता की खोज करता है , जो संपूर्ण ब्रह्मांड को नियंत्रित और क्रियाशील बनाती है। इसका प्रमुख विषय ब्रह्म और आत्मा का पारस्परिक संबंध है। केनोपनिषद् कुल चार खंडों में विभाजित है : प्रथम खंड - इसमें यह प्रश्न उठाया गया है कि किसके द्वारा इंद्रियाँ , मन और प्राण संचालित होते हैं। उत्तर में बताया गया है कि वह परमात्मा ही इन सबका कारण है। द्वितीय खंड - इस खंड में ब्रह्म की अपरिभाषेयता और अनुभव की महत्ता पर बल दिया गया है। यह स्पष्ट किया गया है कि ब्रह्म किसी भी इंद्रिय या मन द्वारा अनुभव नहीं किया जा सकता , बल्कि यह आत्मसाक्षात्कार से ही जाना जा सकता है। तृतीय खंड - इसमें एक कथा द्वारा ब्रह्म के सर्वोच्च स्थान को प्रमाणित किया गय...