Skip to main content

UGC NET Yoga previous year question

UGC NET Yoga previous year question paper for practice (set-4)

नोट:- इस प्रश्नपत्र में (25) बहुसंकल्पीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न के दो (2) अंक है। सभी प्रश्न अनिवार्य

1. अनुसंधान-साक्ष्यों के अनुसार दुश्चिन्ता (एनजाइटी) के प्रबन्धन के लिए कि योगाभ्यासों की सलाह दी जाती हैं?
i. भ्रामरी प्राणायाम
ii. भुजंगासन
iii. शवासन
iv. पशि्चमोत्तानासन

कूट के अनुसार सही संयोजन है:
कूटः
1. iii और iv सही हैं।         2. iv और i सही हैं।
3. i, ii और iii सही हैं।       4. i, ii और iv सही हैं।

2. एक व्यक्ति में तामसिक व्यक्तित्व के क्या-क्या अभिलक्षण होते हैं?
i विरक्ति
ii. प्रवृत्ति
iii. लोभ
iv. अप्रकाश
सही उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें;
कूटः
1. i और ii सही हैं।      2. ii और iii सही हैं।
3. ii और iv सही हैं।     4. iii और iv सही हैं।

3. निम्नलिखित में से कौन से व्यक्तित्व के विकासात्मक सिद्धांतों के प्रकार हैं?
i. प्रारूप सिद्धांत
ii. अधिगम सिद्धांत
iii. मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत
iv. खण्ड विश्लेषण सिद्धांत
उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें; 

कूटः
1. i और ii सही हैं।    2. ii और iii सही हैं।
3. iii और iv सही हैं।   4. iv और i सही हैं।

4. हठप्रदीपिका के अनुसार मूलबन्ध की कौन सी विधि प्रयोग योग्य हैं?
i. उदर का संकुचन
ii. गुदा को एड़ी से दबाना
iii. योनि का संकुचन
iv. वक्ष का संकुचन

कूट के अनुसार सही संयोजन है:

कूटः
1. i तथा ii सही हैं।     2. ii तथा iii सही हैं।
3. iii तथा iv सही हैं।   4. iv तथा i सही हैं।

5. हठप्रदीपिका के अनुसार निम्नलिखित रोगों में वस्त्रधौति लाभकारी है:
i. वातज विकार
ii. कफज विकार
iii. चर्म विकार
iv. नेत्र रोग 

कूट के अनुसार सही संयोजन है:

कूटः
1. i तथा ii सही हैं।      2. ii तथा iii सही हैं।
3. iii तथा iv सही हैं।    4. i तथा iv सही हैं। 

6. ज्ञान योग के साधन हैं;
i. कीर्तन
ii. श्रवण
iii. मनन
iv. निदिध्यासन
कूट के अनुसार सही संयोजन है:
कूटः
1. i, ii और iii सही हैं।
2. ii, iii और iv सही हैं।
3. iii, iv और i सही हैं।
4. iv, i और ii सही हैं।

7. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन: (A) आसन के अभ्यास का मूल उद्देश्य द्वन्द्धो पर काबू पाना है।
तर्कः (R) आसनों के अभ्यास केवल बीमारी की रोकथाम और स्वस्थ (फिट) रहने के लिए किए जाते हैं।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही हैं
1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं हैं।
3. (A) सही हैं, लेकिन (R) गलत हैं।
4. (A) गलत हैं, लेकिन (R) सही हैं।  

8. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए: 

अभिकथन (A) : शरीर में कम यात्रा में विटामिनों की आवश्यकता होती है और ये संतुलित आहार के महत्व पूर्ण घटक होते हैं।
तर्क (R) : विटामिन ऊर्जा की आपूर्ति नहीं करते, लेकिन चयापचन क्रियाओं के नियमन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और प्रोटीन्स, वसाओं और कार्बोहाइड्रेट्स की उपयोग प्रक्रियाओं में सहायता करते हैं।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या हैं।
2. (A) और (२) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं हैं।
3. (A) सही हैं, लेकिन (R) गलत हैं।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

9. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन (A) : योग का मूल उद्देश्य आत्मानुभूति और परम मोक्ष है।
तर्क (R) : योग के आठ अंगों का निरंतर अभ्यास हमारे शरीर और मन पर नियंत्रण में सहायता नहीं करता, जिससे कि परम मोक्ष का अंतिम लक्ष्य प्राप्त किया जा सके। 

उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौनसा सही है?
1. (A) और (R) दोनों सही हैं, तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
3. (A) सही हैं, लेकिन (R) गलत है।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही हैं।

10. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन (A) : जानु सन्धिगत्‌ आस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित रोगी के लिए मण्डूकासन निषिद्ध है।
तर्क (R) : घुटनों को अधिक मोड़ने वाले आसन जानु सन्धि के लिए कठिन तथा कष्टदायक हो सकते हैं। और जानु की समस्याओं को बढ़ा सकते हैं।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही हैं?

1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या हैं।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) को सही व्याख्या नहीं है।
3. (A) सही है, लेकिन (R) गलत हैं।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

11. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन (A) : मत्स्येन्द्रासन डायबिटीज के नियंत्रण के लिए सर्वश्रेष्ठ योगाभ्यास है।
तर्क (R) : मत्स्येन्द्रासन के अभ्यास से उदर संपीडित होता है तथा मेरुदण्ड 'ट्विस्ट' होता है जिससे अग्न्याशय की क्रियात्मकता बढ़ती है और मधुमेह को नियंत्रण करने में सहायता पहुँचाता है।

उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
1. (A) और (R) दोनों सही है तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
3. (A) सही हैं, लेकिन (R) गलत है।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही है

12. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन;: (A) : मानवीय मूल्य एक पहिए की धुरी के सदृश हैं और दूसरे प्रकारों के मूल्य इसके चारों ओर होते हैं।
तर्क (R) : मानवीय मूल्य सत्यशीलता, रचनात्मकता, त्याग, निश्छलता, आत्म-नियंत्रण, परोपकार और वैज्ञानिक दृष्टि हैं।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
3. (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही है। 

13. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की सुंज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन (A) : प्राणायाम के अभ्यास के द्वारा मन धारणा की क्षमता प्राप्त कर सकता है।
तर्क (R) : प्राणायाम श्वसन के स्वैच्छिक नियमन और नियंत्रण की एक तकनीक है, जो धारणा के अभ्यास के लिए मन को समर्थ बनाती है।
उपरोक्त दो कथमनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) का सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नही हैं।
3. (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

14. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन (A) : ध्यान का अभ्यास तनाव (स्टेस) से राहत प्रदान करता है।
तर्क (R) : विभिन्‍न शोधकर्ताओं ने साबित किया है कि ध्यान का अभ्यास स्टेस हार्मोन्स (कॉर्टिसोल) के स्त्राव को बढ़ाता है, मन को आराम पहुँचाता है और इस प्रकार तनाव से राहत प्रदान करता है।

उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा
(R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन
(R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
3. (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

15. बौद्ध ध्यान तकनीक के अनुसार सावधानी की चार आधारशिलाएं हैं;
a. धम्मानुपास्सना
b. वेदनानुपास्सना
c. चित्तानुपास्सना
d. कायानुपास्सना

उपरोक्त को अवरोही क्रम में व्यवस्थित करें:
1. (a), (b), (c) और (d)
2. (b), (c), (d) और (a)
3. (c), (d), (a) और (b)
4. (d), (b), (c) और (a)

16. स्वात्माराम जी द्वारा बताए गए निम्नलिखित हठयोग अभ्यासों को उस क्रम में व्यवस्थित करें, जिसमें वे दृष्टिगोचर हुए थे। उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें:
i. कुम्भक
ii. मुद्रा
iii. आसन
iv. नादानुसंधान
कूट
1. i, ii, iv, iii        2. iii,
i, ii, iv
3. iv, i, ii, iii        4. ii, i, iv, iii

17. वैराग्य के निम्नलिखित चरणों को उचित क्रम में व्यवस्थित करें। उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें:
i. व्यतिरेक
ii. यतमान
iii. वशीकार
iv. एकेन्द्रिय
 कूटः
1. i, iii, ii, iv       2. i, ii, iii, iv
3. ii, i, iv, iii        4. i, ii, iv, iii

18. निम्नलिखित अंतख्रावी ग्रन्थियों को मानव शरीर में उनकी ऊपर से नीचे की ओर की उपस्थिति के अनुसार व्यवस्थित करें। उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें:
i. थाइरॉइड ग्रन्थि
ii. गोनड्स (जनन ग्रन्थियाँ)
iii. एड्रिनल ग्रंथि (अधिवृक्क ग्रन्थि)
iv. पिट्युटरी ग्रन्थि
कूटः  
1. i, ii, iii, iv    2. iv, iii, ii, i
3. ii, iii, i, iv    4. iv, i, iii, ii

19. निम्नलिखित आहार द्रव्यों में उपस्थित वियमिन-सी की प्रतिशत मात्रा के अनुसार उन्हें घटते क्रम में व्यवस्थित करें। सही उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें:
i. अमरूद
ii. संतरा
iii. टमाटर
iv. आँवला
कूटः
1. i, ii, iv, iii       2. i, ii, iii, iv
3. iv, i, ii, iii      4. ii, i, iv, iii

20. हठप्रदीपिका के अनुसार निम्नलिखित क्रियाओं को क्रम में व्यवस्थित करें:
i. धौति
ii. बस्ति
iii. नेति
iv. नौलि
v. त्राटक
vi. कपालभाति
कूटः
1. i, iii, iv, ii, vi, v      
2. iii, iv, ii, i, v, vi  
3. i, ii, iii, v, iv, vi
4. i, ii, iii, iv, v, vi

21.
सूची-1 को सूची-2 के साथ सुमेलित करें? नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर चुने:
 सूची-1                     सूची-2
   (दर्शन)                  (प्रवर्तक)
i. वैशेषिक                 (A) गौतम
ii. न्याय                  (B) कणाद
ii. मीमांसा                (C) कपिल
iv. सांख्य                 (D) जैमिनी
कूटः
   (i)  (ii) (iii) (iv)
1. (A) (B) (C) (D)
2. (B) (A) (D) (C)
3. (C) (D) (A) (B)
4. (D) (A) (B) (C) 

22. निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही ढंग से सुमेलित नहीं है?
1. हठ प्रदीपिका - स्वात्माराम सूरी
2. लाइट ऑन योग - बी.के.एस. अयंगार
3. भजगोविन्दम्‌ - वेदव्यास
4. राजमार्तण्ड - भोज

23. सूची- 1 को सूची- 2 के साथ सुमेलित करें और नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुने:
   सूची-1                 सूची-2
i. जल महाभूत           (A) शब्द
ii. वायु महाभूत           (B) रूप
iii. आकाश महाभूत        (C) स्पर्श
iv. अग्नि महाभूत         (D) रस
कूटः
   (i) (ii) (iii) (iv)
1. (B) (C) (D) (A)
2. (A) (D) (C) (B)
3. (D) (C) (A) (B)
4. (C) (A) (B) (D)
   
24. सूची-1 को सूची-2 के साथ सुमेलित करें और नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुने:
   सूची-1                 सूची-2
i. अग्नि                  (A) चक्षु
ii. वायु                   (B) वाक
iii. आदित्य               (C) मन
iv. चन्द्र                  (D) प्राण
कूटः
   (i) (ii) (iii) (iv)
1. (A) (C) (B) (D)
2. (B) (D) (A) (C)
3. (C) (A) (B) (D)
4. (D) (C) (A) (B)

25. सूची-1 को सूची-2 के साथ सुमेलित करें और नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुनें; 

 सूची-1               सूची-2
 (चक्र)                (अग्नि)
i. स्वाधिष्ठान        (A) मनोजवा
ii. मणिपुर          (B) विश्वरुचि
iii. अनाहत          (C). कराली
iv .सहस्रार          (D). सुलोहिता

कूटः
   (i) (ii) (iii) (iv)
1. (A) (D) (B) (C)
2. (C) (B) (D) (A)
3. (C) (A) (D) (B)
4. (D) (B) (C) (A)    

Answer- 1- (3), 2- (4), 3- (2), 4- (2), 5- (2), 6- (2), 7- (3), 8- (1), 9- (3), 10- (1), 11- (1), 12- (1), 13- (1), 14- (3), 15- (4), 16- (2), 17- (3), 18- (4), 19- (3), 20- (3), 21- (2), 22- (3), 23- (3), 24- (2), 25- (3)

 To be continuous...... 

Yoga Book in Hindi

Yoga Books in English

Yoga Book for BA, MA, Phd

Gherand Samhita yoga book

Hatha Yoga Pradipika Hindi Book

Patanjali Yoga Sutra Hindi

Shri mad bhagwat geeta book hindi

UGC NET Yoga Book Hindi

UGC NET Paper 2 Yoga Book English

UGC NET Paper 1 Book

QCI Yoga Book 

Yoga book for class 12 cbse

Yoga Books for kids


Yoga Mat   Yoga suit  Yoga Bar   Yoga kit


 योग अध्ययन सामग्री

 हठयोग

Comments

Popular posts from this blog

सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति सामान्य परिचय

प्रथम उपदेश- पिण्ड उत्पति विचार सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति अध्याय - 2 (पिण्ड विचार) सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति के अनुसार नौ चक्रो के नाम 1. ब्रहमचक्र - मूलाधार मे स्थित है, कामनाओं की पूर्ति होती हैं। 2. स्वाधिष्ठान चक्र - इससे हम चीजो को आकर्षित कर सकते है। 3. नाभी चक्र - सिद्धि की प्राप्ति होती है। 4. अनाहत चक्र - हृदय में स्थित होता है। 5. कण्ठचक्र - विशुद्धि-संकल्प पूर्ति, आवाज मधुर होती है। 6. तालुचक्र -  घटिका में, जिह्वा के मूल भाग में,  लय सिद्धि प्राप्त होती है। 7. भ्रुचक्र -     आज्ञा चक्र - वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है। 8. निर्वाणचक्र - ब्रहमरन्ध्र, सहस्त्रार चक्र, मोक्ष प्राप्ति 9. आकाश चक्र - सहस्त्रारचक्र के ऊपर,  भय- द्वेष की समाप्ति होती है। सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति के अनुसार सोहल आधार (1) पादांगुष्ठ आधार (2) मूलाधार (3) गुदाद्वार आधार (4) मेद् आधार (5) उड्डियान आधार (6) नाभी आधार (7) हृदयाधार (8) कण्ठाधार (9) घटिकाधार (10) तालु आधार (11) जिह्वा आधार (12) भ्रूमध्य आधार (13) नासिका आधार (14) नासामूल कपाट आधार (15) ललाट आधार (16) ब्रहमरंध्र आधार सिद्ध...

घेरण्ड संहिता में वर्णित "प्राणायाम" -- विधि, लाभ एवं सावधानियाँ

घेरण्ड संहिता के अनुसार प्राणायाम घेरण्डसंहिता में महर्षि घेरण्ड ने आठ प्राणायाम (कुम्भको) का वर्णन किया है । प्राण के नियन्त्रण से मन नियन्त्रित होता है। अत: प्रायायाम की आवश्यकता बताई गई है। हठयोग प्रदीपिका की भांति प्राणायामों की संख्या घेरण्डसंहिता में भी आठ बताई गईं है किन्तु दोनो में थोडा अन्तर है। घेरण्डसंहिता मे कहा गया है- सहित: सूर्यभेदश्च उज्जायी शीतली तथा। भस्त्रिका भ्रामरी मूर्च्छा केवली चाष्टकुम्भका।। (घे.सं0 5 / 46) 1. सहित, 2. सूर्य भेदन, 3. उज्जायी, 4. शीतली, 5. भस्त्रिका, 6. भ्रामरी, 7. मूर्च्छा तथा 8. केवली ये आठ कुम्भक (प्राणायाम) कहे गए हैं। प्राणायामों के अभ्यास से शरीर में हल्कापन आता है। 1. सहित प्राणायाम - सहित प्राणायाम दो प्रकार के होते है (i) संगर्भ और (ii) निगर्भ । सगर्भ प्राणायाम में बीज मन्त्र का प्रयोग किया जाता हैँ। और निगर्भ प्राणायाम का अभ्यास बीज मन्त्र रहित होता है। (i) सगर्भ प्राणायाम- इसके अभ्यास के लिये पहले ब्रह्मा पर ध्यान लगाना है, उन पर सजगता को केन्द्रित करते समय उन्हें लाल रंग में देखना है तथा यह कल्पना करनी है कि वे लाल है और रजस गुणों से...

चित्त विक्षेप | योगान्तराय

चित्त विक्षेपों को ही योगान्तराय ' कहते है जो चित्त को विक्षिप्त करके उसकी एकाग्रता को नष्ट कर देते हैं उन्हें योगान्तराय अथवा योग के विध्न कहा जाता।  'योगस्य अन्तः मध्ये आयान्ति ते अन्तरायाः'।  ये योग के मध्य में आते हैं इसलिये इन्हें योगान्तराय कहा जाता है। विघ्नों से व्यथित होकर योग साधक साधना को बीच में ही छोड़कर चल देते हैं। विध्न आयें ही नहीं अथवा यदि आ जायें तो उनको सहने की शक्ति चित्त में आ जाये, ऐसी दया ईश्वर ही कर सकता है। यह तो सम्भव नहीं कि विध्न न आयें। “श्रेयांसि बहुविध्नानि' शुभकार्यों में विध्न आया ही करते हैं। उनसे टकराने का साहस योगसाधक में होना चाहिए। ईश्वर की अनुकम्पा से यह सम्भव होता है।  व्याधिस्त्यानसंशयप्रमादालस्याविरतिभ्रान्तिदर्शनालब्धभूमिकत्वानवस्थितत्वानि चित्तविक्षेपास्तेऽन्तरायाः (योगसूत्र - 1/30) योगसूत्र के अनुसार चित्त विक्षेपों  या अन्तरायों की संख्या नौ हैं- व्याधि, स्त्यान, संशय, प्रमाद, आलस्य, अविरति, भ्रान्तिदर्शन, अलब्धभूमिकत्व और अनवस्थितत्व। उक्त नौ अन्तराय ही चित्त को विक्षिप्त करते हैं। अतः ये योगविरोधी हैं इन्हें योग के मल...

योग के साधक तत्व

योग के साधक तत्व - हठप्रदीपिका के अनुसार योग के साधक तत्व-   उत्साहात्‌ साहसाद्‌ धैर्यात्‌ तत्वज्ञानाच्च निश्चयात्‌। जनसंगपरित्यागात्‌ षडभियोंगः प्रसिद्दयति: || 1/16 अर्थात उत्साह, साहस, धैर्य, तत्वज्ञान, दृढ़-निश्चय तथा जनसंग का परित्याग इन छः तत्वों से योग की सिद्धि होती है, अतः ये योग के साधक तत्व है। 1. उत्साह- योग साधना में प्रवृत्त होने के लिए उत्साह रूपी मनोस्थिति का होना आवश्यक है। उत्साह भरे मन से कार्य प्रारभं करने से शरीर, मन व इन्द्रियों में प्राण संचार होकर सभी अंग साधना में कार्यरत होने को प्रेरित हो जाते है। अतः उत्साहरूपी मनोस्थिति योग साधना में सफलता की कुजी है। 2. साहस- योगसाधना मार्ग मे साहस का भी गुण होना चाहिए। साहसी साधक योग की कठिन क्रियांए जैसे- वस्त्रधौति, खेचरी आदि की साधना कर सकता है। पहले से ही भयभीत साधक योग क्रियाओं के मार्ग की और नहीं बढ़ सकता। 3. धैर्य- योगसाधक में घीरता का गुण होना अत्यावश्यक हैं। यदि साधक रातो-रात साधना में सफलता चाहता है तो ऐसा अधीर साधक बाधाओं से घिरकर पथ भ्रष्ट हो जाता है। साधक को गुरूपदेश से संसार की बाधाओं या आन्तरिक स्तर की...

सांख्य दर्शन परिचय, सांख्य दर्शन में वर्णित 25 तत्व

सांख्य दर्शन के प्रणेता महर्षि कपिल है यहाँ पर सांख्य शब्द का अर्थ ज्ञान के अर्थ में लिया गया सांख्य दर्शन में प्रकृति पुरूष सृष्टि क्रम बन्धनों व मोक्ष कार्य - कारण सिद्धान्त का सविस्तार वर्णन किया गया है इसका संक्षेप में वर्णन इस प्रकार है। 1. प्रकृति-  सांख्य दर्शन में प्रकृति को त्रिगुण अर्थात सत्व, रज, तम तीन गुणों के सम्मिलित रूप को त्रिगुण की संज्ञा दी गयी है। सांख्य दर्शन में इन तीन गुणो कों सूक्ष्म तथा अतेनद्रिय माना गया सत्व गुणो का कार्य सुख रजोगुण का कार्य लोभ बताया गया सत्व गुण स्वच्छता एवं ज्ञान का प्रतीक है यह गुण उर्ध्वगमन करने वाला है। इसकी प्रबलता से पुरूष में सरलता प्रीति,अदा,सन्तोष एवं विवेक के सुखद भावो की उत्पत्ति होती है।    रजोगुण दुःख अथवा अशान्ति का प्रतीक है इसकी प्रबलता से पुरूष में मान, मद, वेष तथा क्रोध भाव उत्पन्न होते है।    तमोगुण दुख एवं अशान्ति का प्रतीक है यह गुण अधोगमन करने वाला है तथा इसकी प्रबलता से मोह की उत्पत्ति होती है इस मोह से पुरूष में निद्रा, प्रसाद, आलस्य, मुर्छा, अकर्मण्यता अथवा उदासीनता के भाव उत्पन्न होते है सा...

"चक्र " - मानव शरीर में वर्णित शक्ति केन्द्र

7 Chakras in Human Body हमारे शरीर में प्राण ऊर्जा का सूक्ष्म प्रवाह प्रत्येक नाड़ी के एक निश्चित मार्ग द्वारा होता है। और एक विशिष्ट बिन्दु पर इसका संगम होता है। यह बिन्दु प्राण अथवा आत्मिक शक्ति का केन्द्र होते है। योग में इन्हें चक्र कहा जाता है। चक्र हमारे शरीर में ऊर्जा के परिपथ का निर्माण करते हैं। यह परिपथ मेरूदण्ड में होता है। चक्र उच्च तलों से ऊर्जा को ग्रहण करते है तथा उसका वितरण मन और शरीर को करते है। 'चक्र' शब्द का अर्थ-  'चक्र' का शाब्दिक अर्थ पहिया या वृत्त माना जाता है। किन्तु इस संस्कृत शब्द का यौगिक दृष्टि से अर्थ चक्रवात या भँवर से है। चक्र अतीन्द्रिय शक्ति केन्द्रों की ऐसी विशेष तरंगे हैं, जो वृत्ताकार रूप में गतिमान रहती हैं। इन तरंगों को अनुभव किया जा सकता है। हर चक्र की अपनी अलग तरंग होती है। अलग अलग चक्र की तरंगगति के अनुसार अलग अलग रंग को घूर्णनशील प्रकाश के रूप में इन्हें देखा जाता है। योगियों ने गहन ध्यान की स्थिति में चक्रों को विभिन्न दलों व रंगों वाले कमल पुष्प के रूप में देखा। इसीलिए योगशास्त्र में इन चक्रों को 'शरीर का कमल पुष्प” कहा ग...

ज्ञानयोग - ज्ञानयोग के साधन - बहिरंग साधन , अन्तरंग साधन

  ज्ञान व विज्ञान की धारायें वेदों में व्याप्त है । वेद का अर्थ ज्ञान के रूप मे लेते है ‘ज्ञान’ अर्थात जिससे व्यष्टि व समष्टि के वास्तविक स्वरूप का बोध होता है। ज्ञान, विद् धातु से व्युत्पन्न शब्द है जिसका अर्थ किसी भी विषय, पदार्थ आदि को जानना या अनुभव करना होता है। ज्ञान की विशेषता व महत्त्व के विषय में बतलाते हुए कहा गया है "ज्ञानाग्नि सर्वकर्माणि भस्मसात्कुरुते तथा" अर्थात जिस प्रकार प्रज्वलित अग्नि ईंधन को जलाकर भस्म कर देती है उसी प्रकार ज्ञान रुपी अग्नि कर्म रूपी ईंधन को भस्म कर देती है। ज्ञानयोग साधना पद्धति, ज्ञान पर आधारित होती है इसीलिए इसको ज्ञानयोग की संज्ञा दी गयी है। ज्ञानयोग पद्धति मे योग का बौद्धिक और दार्शनिक पक्ष समाहित होता है। ज्ञानयोग 'ब्रहासत्यं जगतमिथ्या' के सिद्धान्त के आधार पर संसार में रह कर भी अपने ब्रह्मभाव को जानने का प्रयास करने की विधि है। जब साधक स्वयं को ईश्वर (ब्रहा) के रूप ने जान लेता है 'अहं ब्रह्मास्मि’ का बोध होते ही वह बंधनमुक्त हो जाता है। उपनिषद मुख्यतया इसी ज्ञान का स्रोत हैं। ज्ञानयोग साधना में अभीष्ट लक्ष्य को प्राप्त ...

हठयोग प्रदीपिका के अनुसार षट्कर्म

हठप्रदीपिका के अनुसार षट्कर्म हठयोगप्रदीपिका हठयोग के महत्वपूर्ण ग्रन्थों में से एक हैं। इस ग्रन्थ के रचयिता योगी स्वात्माराम जी हैं। हठयोग प्रदीपिका के द्वितीय अध्याय में षटकर्मों का वर्णन किया गया है। षटकर्मों का वर्णन करते हुए स्वामी स्वात्माराम  जी कहते हैं - धौतिर्बस्तिस्तथा नेतिस्त्राटकं नौलिकं तथा।  कपालभातिश्चैतानि षट्कर्माणि प्रचक्षते।। (हठयोग प्रदीपिका-2/22) अर्थात- धौति, बस्ति, नेति, त्राटक, नौलि और कपालभोंति ये छ: कर्म हैं। बुद्धिमान योगियों ने इन छः कर्मों को योगमार्ग में करने का निर्देश किया है। इन छह कर्मों के अतिरिक्त गजकरणी का भी हठयोगप्रदीपिका में वर्णन किया गया है। वैसे गजकरणी धौतिकर्म के अन्तर्गत ही आ जाती है। इनका वर्णन निम्नलिखित है 1. धौति-  धौँति क्रिया की विधि और  इसके लाभ एवं सावधानी- धौँतिकर्म के अन्तर्गत हठयोग प्रदीपिका में केवल वस्त्र धौति का ही वर्णन किया गया है। धौति क्रिया का वर्णन करते हुए योगी स्वात्माराम जी कहते हैं- चतुरंगुल विस्तारं हस्तपंचदशायतम। . गुरूपदिष्टमार्गेण सिक्तं वस्त्रं शनैर्गसेत्।।  पुनः प्रत्याहरेच्चैतदुदितं ध...

Yoga MCQ Questions Answers in Hindi

 Yoga multiple choice questions in Hindi for UGC NET JRF Yoga, QCI Yoga, YCB Exam नोट :- इस प्रश्नपत्र में (25) बहुसंकल्पीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न के दो (2) अंक है। सभी प्रश्न अनिवार्य ।   1. किस उपनिषद्‌ में ओंकार के चार चरणों का उल्लेख किया गया है? (1) प्रश्नोपनिषद्‌         (2) मुण्डकोपनिषद्‌ (3) माण्डूक्योपनिषद्‌  (4) कठोपनिषद्‌ 2 योग वासिष्ठ में निम्नलिखित में से किस पर बल दिया गया है? (1) ज्ञान योग  (2) मंत्र योग  (3) राजयोग  (4) भक्ति योग 3. पुरुष और प्रकृति निम्नलिखित में से किस दर्शन की दो मुख्य अवधारणाएं हैं ? (1) वेदांत           (2) सांख्य (3) पूर्व मीमांसा (4) वैशेषिक 4. निम्नांकित में से कौन-सी नाड़ी दस मुख्य नाडियों में शामिल नहीं है? (1) अलम्बुषा  (2) कुहू  (3) कूर्म  (4) शंखिनी 5. योगवासिष्ठानुसार निम्नलिखित में से क्या ज्ञानभूमिका के अन्तर्गत नहीं आता है? (1) शुभेच्छा (2) विचारणा (3) सद्भावना (4) तनुमानसा 6. प्रश्नो...

Teaching Aptitude MCQ in hindi with Answers

  शिक्षण एवं शोध अभियोग्यता Teaching Aptitude MCQ's with Answers Teaching Aptitude mcq for ugc net, Teaching Aptitude mcq for set exam, Teaching Aptitude mcq questions, Teaching Aptitude mcq in hindi, Teaching aptitude mcq for b.ed entrance Teaching Aptitude MCQ 1. निम्न में से कौन सा शिक्षण का मुख्य उद्देश्य है ? (1) पाठ्यक्रम के अनुसार सूचनायें प्रदान करना (2) छात्रों की चिन्तन शक्ति का विकास करना (3) छात्रों को टिप्पणियाँ लिखवाना (4) छात्रों को परीक्षा के लिए तैयार करना   2. निम्न में से कौन सी शिक्षण विधि अच्छी है ? (1) व्याख्यान एवं श्रुतिलेखन (2) संगोष्ठी एवं परियोजना (3) संगोष्ठी एवं श्रुतिलेखन (4) श्रुतिलेखन एवं दत्तकार्य   3. अध्यापक शिक्षण सामग्री का उपयोग करता है क्योंकि - (1) इससे शिक्षणकार्य रुचिकर बनता है (2) इससे शिक्षणकार्य छात्रों के बोध स्तर का बनता है (3) इससे छात्रों का ध्यान आकर्षित होता है (4) वह इसका उपयोग करना चाहता है   4. शिक्षण का प्रभावी होना किस ब...