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UGC NET Yoga previous year question

UGC NET Yoga previous year question paper for practice (set-4)

नोट:- इस प्रश्नपत्र में (25) बहुसंकल्पीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न के दो (2) अंक है। सभी प्रश्न अनिवार्य

1. अनुसंधान-साक्ष्यों के अनुसार दुश्चिन्ता (एनजाइटी) के प्रबन्धन के लिए कि योगाभ्यासों की सलाह दी जाती हैं?
i. भ्रामरी प्राणायाम
ii. भुजंगासन
iii. शवासन
iv. पशि्चमोत्तानासन

कूट के अनुसार सही संयोजन है:
कूटः
1. iii और iv सही हैं।         2. iv और i सही हैं।
3. i, ii और iii सही हैं।       4. i, ii और iv सही हैं।

2. एक व्यक्ति में तामसिक व्यक्तित्व के क्या-क्या अभिलक्षण होते हैं?
i विरक्ति
ii. प्रवृत्ति
iii. लोभ
iv. अप्रकाश
सही उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें;
कूटः
1. i और ii सही हैं।      2. ii और iii सही हैं।
3. ii और iv सही हैं।     4. iii और iv सही हैं।

3. निम्नलिखित में से कौन से व्यक्तित्व के विकासात्मक सिद्धांतों के प्रकार हैं?
i. प्रारूप सिद्धांत
ii. अधिगम सिद्धांत
iii. मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत
iv. खण्ड विश्लेषण सिद्धांत
उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें; 

कूटः
1. i और ii सही हैं।    2. ii और iii सही हैं।
3. iii और iv सही हैं।   4. iv और i सही हैं।

4. हठप्रदीपिका के अनुसार मूलबन्ध की कौन सी विधि प्रयोग योग्य हैं?
i. उदर का संकुचन
ii. गुदा को एड़ी से दबाना
iii. योनि का संकुचन
iv. वक्ष का संकुचन

कूट के अनुसार सही संयोजन है:

कूटः
1. i तथा ii सही हैं।     2. ii तथा iii सही हैं।
3. iii तथा iv सही हैं।   4. iv तथा i सही हैं।

5. हठप्रदीपिका के अनुसार निम्नलिखित रोगों में वस्त्रधौति लाभकारी है:
i. वातज विकार
ii. कफज विकार
iii. चर्म विकार
iv. नेत्र रोग 

कूट के अनुसार सही संयोजन है:

कूटः
1. i तथा ii सही हैं।      2. ii तथा iii सही हैं।
3. iii तथा iv सही हैं।    4. i तथा iv सही हैं। 

6. ज्ञान योग के साधन हैं;
i. कीर्तन
ii. श्रवण
iii. मनन
iv. निदिध्यासन
कूट के अनुसार सही संयोजन है:
कूटः
1. i, ii और iii सही हैं।
2. ii, iii और iv सही हैं।
3. iii, iv और i सही हैं।
4. iv, i और ii सही हैं।

7. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन: (A) आसन के अभ्यास का मूल उद्देश्य द्वन्द्धो पर काबू पाना है।
तर्कः (R) आसनों के अभ्यास केवल बीमारी की रोकथाम और स्वस्थ (फिट) रहने के लिए किए जाते हैं।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही हैं
1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं हैं।
3. (A) सही हैं, लेकिन (R) गलत हैं।
4. (A) गलत हैं, लेकिन (R) सही हैं।  

8. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए: 

अभिकथन (A) : शरीर में कम यात्रा में विटामिनों की आवश्यकता होती है और ये संतुलित आहार के महत्व पूर्ण घटक होते हैं।
तर्क (R) : विटामिन ऊर्जा की आपूर्ति नहीं करते, लेकिन चयापचन क्रियाओं के नियमन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और प्रोटीन्स, वसाओं और कार्बोहाइड्रेट्स की उपयोग प्रक्रियाओं में सहायता करते हैं।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या हैं।
2. (A) और (२) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं हैं।
3. (A) सही हैं, लेकिन (R) गलत हैं।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

9. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन (A) : योग का मूल उद्देश्य आत्मानुभूति और परम मोक्ष है।
तर्क (R) : योग के आठ अंगों का निरंतर अभ्यास हमारे शरीर और मन पर नियंत्रण में सहायता नहीं करता, जिससे कि परम मोक्ष का अंतिम लक्ष्य प्राप्त किया जा सके। 

उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौनसा सही है?
1. (A) और (R) दोनों सही हैं, तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
3. (A) सही हैं, लेकिन (R) गलत है।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही हैं।

10. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन (A) : जानु सन्धिगत्‌ आस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित रोगी के लिए मण्डूकासन निषिद्ध है।
तर्क (R) : घुटनों को अधिक मोड़ने वाले आसन जानु सन्धि के लिए कठिन तथा कष्टदायक हो सकते हैं। और जानु की समस्याओं को बढ़ा सकते हैं।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही हैं?

1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या हैं।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) को सही व्याख्या नहीं है।
3. (A) सही है, लेकिन (R) गलत हैं।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

11. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन (A) : मत्स्येन्द्रासन डायबिटीज के नियंत्रण के लिए सर्वश्रेष्ठ योगाभ्यास है।
तर्क (R) : मत्स्येन्द्रासन के अभ्यास से उदर संपीडित होता है तथा मेरुदण्ड 'ट्विस्ट' होता है जिससे अग्न्याशय की क्रियात्मकता बढ़ती है और मधुमेह को नियंत्रण करने में सहायता पहुँचाता है।

उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
1. (A) और (R) दोनों सही है तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
3. (A) सही हैं, लेकिन (R) गलत है।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही है

12. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन;: (A) : मानवीय मूल्य एक पहिए की धुरी के सदृश हैं और दूसरे प्रकारों के मूल्य इसके चारों ओर होते हैं।
तर्क (R) : मानवीय मूल्य सत्यशीलता, रचनात्मकता, त्याग, निश्छलता, आत्म-नियंत्रण, परोपकार और वैज्ञानिक दृष्टि हैं।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
3. (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही है। 

13. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की सुंज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन (A) : प्राणायाम के अभ्यास के द्वारा मन धारणा की क्षमता प्राप्त कर सकता है।
तर्क (R) : प्राणायाम श्वसन के स्वैच्छिक नियमन और नियंत्रण की एक तकनीक है, जो धारणा के अभ्यास के लिए मन को समर्थ बनाती है।
उपरोक्त दो कथमनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) का सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नही हैं।
3. (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

14. नीचे दिए गए दो कथनों में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
अभिकथन (A) : ध्यान का अभ्यास तनाव (स्टेस) से राहत प्रदान करता है।
तर्क (R) : विभिन्‍न शोधकर्ताओं ने साबित किया है कि ध्यान का अभ्यास स्टेस हार्मोन्स (कॉर्टिसोल) के स्त्राव को बढ़ाता है, मन को आराम पहुँचाता है और इस प्रकार तनाव से राहत प्रदान करता है।

उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा
(R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन
(R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
3. (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
4. (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

15. बौद्ध ध्यान तकनीक के अनुसार सावधानी की चार आधारशिलाएं हैं;
a. धम्मानुपास्सना
b. वेदनानुपास्सना
c. चित्तानुपास्सना
d. कायानुपास्सना

उपरोक्त को अवरोही क्रम में व्यवस्थित करें:
1. (a), (b), (c) और (d)
2. (b), (c), (d) और (a)
3. (c), (d), (a) और (b)
4. (d), (b), (c) और (a)

16. स्वात्माराम जी द्वारा बताए गए निम्नलिखित हठयोग अभ्यासों को उस क्रम में व्यवस्थित करें, जिसमें वे दृष्टिगोचर हुए थे। उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें:
i. कुम्भक
ii. मुद्रा
iii. आसन
iv. नादानुसंधान
कूट
1. i, ii, iv, iii        2. iii,
i, ii, iv
3. iv, i, ii, iii        4. ii, i, iv, iii

17. वैराग्य के निम्नलिखित चरणों को उचित क्रम में व्यवस्थित करें। उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें:
i. व्यतिरेक
ii. यतमान
iii. वशीकार
iv. एकेन्द्रिय
 कूटः
1. i, iii, ii, iv       2. i, ii, iii, iv
3. ii, i, iv, iii        4. i, ii, iv, iii

18. निम्नलिखित अंतख्रावी ग्रन्थियों को मानव शरीर में उनकी ऊपर से नीचे की ओर की उपस्थिति के अनुसार व्यवस्थित करें। उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें:
i. थाइरॉइड ग्रन्थि
ii. गोनड्स (जनन ग्रन्थियाँ)
iii. एड्रिनल ग्रंथि (अधिवृक्क ग्रन्थि)
iv. पिट्युटरी ग्रन्थि
कूटः  
1. i, ii, iii, iv    2. iv, iii, ii, i
3. ii, iii, i, iv    4. iv, i, iii, ii

19. निम्नलिखित आहार द्रव्यों में उपस्थित वियमिन-सी की प्रतिशत मात्रा के अनुसार उन्हें घटते क्रम में व्यवस्थित करें। सही उत्तर देने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें:
i. अमरूद
ii. संतरा
iii. टमाटर
iv. आँवला
कूटः
1. i, ii, iv, iii       2. i, ii, iii, iv
3. iv, i, ii, iii      4. ii, i, iv, iii

20. हठप्रदीपिका के अनुसार निम्नलिखित क्रियाओं को क्रम में व्यवस्थित करें:
i. धौति
ii. बस्ति
iii. नेति
iv. नौलि
v. त्राटक
vi. कपालभाति
कूटः
1. i, iii, iv, ii, vi, v      
2. iii, iv, ii, i, v, vi  
3. i, ii, iii, v, iv, vi
4. i, ii, iii, iv, v, vi

21.
सूची-1 को सूची-2 के साथ सुमेलित करें? नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर चुने:
 सूची-1                     सूची-2
   (दर्शन)                  (प्रवर्तक)
i. वैशेषिक                 (A) गौतम
ii. न्याय                  (B) कणाद
ii. मीमांसा                (C) कपिल
iv. सांख्य                 (D) जैमिनी
कूटः
   (i)  (ii) (iii) (iv)
1. (A) (B) (C) (D)
2. (B) (A) (D) (C)
3. (C) (D) (A) (B)
4. (D) (A) (B) (C) 

22. निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही ढंग से सुमेलित नहीं है?
1. हठ प्रदीपिका - स्वात्माराम सूरी
2. लाइट ऑन योग - बी.के.एस. अयंगार
3. भजगोविन्दम्‌ - वेदव्यास
4. राजमार्तण्ड - भोज

23. सूची- 1 को सूची- 2 के साथ सुमेलित करें और नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुने:
   सूची-1                 सूची-2
i. जल महाभूत           (A) शब्द
ii. वायु महाभूत           (B) रूप
iii. आकाश महाभूत        (C) स्पर्श
iv. अग्नि महाभूत         (D) रस
कूटः
   (i) (ii) (iii) (iv)
1. (B) (C) (D) (A)
2. (A) (D) (C) (B)
3. (D) (C) (A) (B)
4. (C) (A) (B) (D)
   
24. सूची-1 को सूची-2 के साथ सुमेलित करें और नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुने:
   सूची-1                 सूची-2
i. अग्नि                  (A) चक्षु
ii. वायु                   (B) वाक
iii. आदित्य               (C) मन
iv. चन्द्र                  (D) प्राण
कूटः
   (i) (ii) (iii) (iv)
1. (A) (C) (B) (D)
2. (B) (D) (A) (C)
3. (C) (A) (B) (D)
4. (D) (C) (A) (B)

25. सूची-1 को सूची-2 के साथ सुमेलित करें और नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुनें; 

 सूची-1               सूची-2
 (चक्र)                (अग्नि)
i. स्वाधिष्ठान        (A) मनोजवा
ii. मणिपुर          (B) विश्वरुचि
iii. अनाहत          (C). कराली
iv .सहस्रार          (D). सुलोहिता

कूटः
   (i) (ii) (iii) (iv)
1. (A) (D) (B) (C)
2. (C) (B) (D) (A)
3. (C) (A) (D) (B)
4. (D) (B) (C) (A)    

Answer- 1- (3), 2- (4), 3- (2), 4- (2), 5- (2), 6- (2), 7- (3), 8- (1), 9- (3), 10- (1), 11- (1), 12- (1), 13- (1), 14- (3), 15- (4), 16- (2), 17- (3), 18- (4), 19- (3), 20- (3), 21- (2), 22- (3), 23- (3), 24- (2), 25- (3)

 To be continuous...... 

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हठप्रदीपिका के अनुसार षट्कर्म हठयोगप्रदीपिका हठयोग के महत्वपूर्ण ग्रन्थों में से एक हैं। इस ग्रन्थ के रचयिता योगी स्वात्माराम जी हैं। हठयोग प्रदीपिका के द्वितीय अध्याय में षटकर्मों का वर्णन किया गया है। षटकर्मों का वर्णन करते हुए स्वामी स्वात्माराम  जी कहते हैं - धौतिर्बस्तिस्तथा नेतिस्त्राटकं नौलिकं तथा।  कपालभातिश्चैतानि षट्कर्माणि प्रचक्षते।। (हठयोग प्रदीपिका-2/22) अर्थात- धौति, बस्ति, नेति, त्राटक, नौलि और कपालभोंति ये छ: कर्म हैं। बुद्धिमान योगियों ने इन छः कर्मों को योगमार्ग में करने का निर्देश किया है। इन छह कर्मों के अतिरिक्त गजकरणी का भी हठयोगप्रदीपिका में वर्णन किया गया है। वैसे गजकरणी धौतिकर्म के अन्तर्गत ही आ जाती है। इनका वर्णन निम्नलिखित है 1. धौति-  धौँति क्रिया की विधि और  इसके लाभ एवं सावधानी- धौँतिकर्म के अन्तर्गत हठयोग प्रदीपिका में केवल वस्त्र धौति का ही वर्णन किया गया है। धौति क्रिया का वर्णन करते हुए योगी स्वात्माराम जी कहते हैं- चतुरंगुल विस्तारं हस्तपंचदशायतम। . गुरूपदिष्टमार्गेण सिक्तं वस्त्रं शनैर्गसेत्।।  पुनः प्रत्याहरेच्चैतदुदितं ध...

हठयोग प्रदीपिका में वर्णित प्राणायाम

हठयोग प्रदीपिका में प्राणायाम को कुम्भक कहा है, स्वामी स्वात्माराम जी ने प्राणायामों का वर्णन करते हुए कहा है - सूर्यभेदनमुज्जायी सीत्कारी शीतल्री तथा।  भस्त्रिका भ्रामरी मूर्च्छा प्लाविनीत्यष्टकुंम्भका:।। (हठयोगप्रदीपिका- 2/44) अर्थात् - सूर्यभेदन, उज्जायी, सीत्कारी, शीतली, भस्त्रिका, भ्रामरी, मूर्छा और प्लाविनी में आठ प्रकार के कुम्भक (प्राणायाम) है। इनका वर्णन ऩिम्न प्रकार है 1. सूर्यभेदी प्राणायाम - हठयोग प्रदीपिका में सूर्यभेदन या सूर्यभेदी प्राणायाम का वर्णन इस प्रकार किया गया है - आसने सुखदे योगी बदध्वा चैवासनं ततः।  दक्षनाड्या समाकृष्य बहिस्थं पवन शनै:।।  आकेशादानखाग्राच्च निरोधावधि क्रुंभयेत। ततः शनैः सव्य नाड्या रेचयेत् पवन शनै:।। (ह.प्र. 2/48/49) अर्थात- पवित्र और समतल स्थान में उपयुक्त आसन बिछाकर उसके ऊपर पद्मासन, स्वस्तिकासन आदि किसी आसन में सुखपूर्वक मेरुदण्ड, गर्दन और सिर को सीधा रखते हुए बैठेै। फिर दाहिने नासारन्ध्र अर्थात पिंगला नाडी से शनैः शनैः पूरक करें। आभ्यन्तर कुम्भक करें। कुम्भक के समय मूलबन्ध व जालन्धरबन्ध लगा कर रखें।  यथा शक्ति कुम्भक के प...

ज्ञानयोग - ज्ञानयोग के साधन - बहिरंग साधन , अन्तरंग साधन

  ज्ञान व विज्ञान की धारायें वेदों में व्याप्त है । वेद का अर्थ ज्ञान के रूप मे लेते है ‘ज्ञान’ अर्थात जिससे व्यष्टि व समष्टि के वास्तविक स्वरूप का बोध होता है। ज्ञान, विद् धातु से व्युत्पन्न शब्द है जिसका अर्थ किसी भी विषय, पदार्थ आदि को जानना या अनुभव करना होता है। ज्ञान की विशेषता व महत्त्व के विषय में बतलाते हुए कहा गया है "ज्ञानाग्नि सर्वकर्माणि भस्मसात्कुरुते तथा" अर्थात जिस प्रकार प्रज्वलित अग्नि ईंधन को जलाकर भस्म कर देती है उसी प्रकार ज्ञान रुपी अग्नि कर्म रूपी ईंधन को भस्म कर देती है। ज्ञानयोग साधना पद्धति, ज्ञान पर आधारित होती है इसीलिए इसको ज्ञानयोग की संज्ञा दी गयी है। ज्ञानयोग पद्धति मे योग का बौद्धिक और दार्शनिक पक्ष समाहित होता है। ज्ञानयोग 'ब्रहासत्यं जगतमिथ्या' के सिद्धान्त के आधार पर संसार में रह कर भी अपने ब्रह्मभाव को जानने का प्रयास करने की विधि है। जब साधक स्वयं को ईश्वर (ब्रहा) के रूप ने जान लेता है 'अहं ब्रह्मास्मि’ का बोध होते ही वह बंधनमुक्त हो जाता है। उपनिषद मुख्यतया इसी ज्ञान का स्रोत हैं। ज्ञानयोग साधना में अभीष्ट लक्ष्य को प्राप्त ...

घेरण्ड संहिता का सामान्य परिचय

  घेरण्ड संहिता महर्षि घेरण्ड और राजा चण्डिकापालि के संवाद रूप में रचित घेरण्ड संहिता महर्षि घेरण्ड की अनुपम कृति है। इस के योग को घटस्थ योग या सप्तांग योग भी कहा गया है। घेरण्ड संहिता के  सात अध्याय है तथा योग के सात अंगो की चर्चा की गई है जो घटशुद्धि के लिए आवश्यक हैं,  घेरण्ड संहिता में वर्णित योग को सप्तांगयोग भी कहा जाता है । शाोधनं दृढता चैव स्थैर्यं धैर्य च लाघवम्।  प्रत्यक्ष च निर्लिप्तं च घटस्य सप्तसाधनम् ।। घे.सं. 9 शोधन, दृढ़ता, स्थिरता, धीरता, लघुता, प्रत्यक्ष तथा निर्लिप्तता । इन सातों के लिए उयायरूप मे शरीर शोधन के सात साधनो को कहा गया है। षटकार्मणा शोधनं च आसनेन् भवेद्दृढम्।   मुद्रया स्थिरता चैव प्रत्याहारेण धीरता।।  प्राणायामाँल्लाघवं च ध्यानात्प्रत्क्षमात्मान:।   समाधिना निर्लिप्तिं च मुक्तिरेव न संशय।। घे.सं. 10-11   अर्थात् षटकर्मों से शरीर का शोधन, आसन से दृढ़ता. मुद्रा से स्थिरता, प्रत्याहार से धीरता, प्राणायाम से लाघवं (हल्कापन), ध्यान से आत्मसाक्षात्कार तथा समाधि से निर्लिप्तभाव प्राप्त करके मुक्ति अवश्य ही हो जाएगी, इसमे ...