Skip to main content

UGC NET Yoga MCQ in Hindi

 UGC NET Yoga June 2019 Solved Paper | Yoga MCQ (Set-19) 

नोट:- इस प्रश्नपत्र में (25) बहुसंकल्पीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न के दो (2) अंक है। सभी प्रश्न अनिवार्य  

1. चतुर्योग (मंत्र, लय, हठ और राज) का वर्णन किया गया है :

(a) त्रिशिखिब्राह्मण उपनिषद्‌ में
(b) योगतत्व उपनिषद्‌ में
(c) योगराज उपनिषद्‌ में
(d) नादबिन्दु उपनिषद्‌ में
सही विकल्प चुनिए
1. (a) और (d)  
2. (b) और (d)  
3. (c) और (d)
4. (b) और (c)  

2. निम्नलिखित में से कौन सा आसन संतुलनात्मक नहीं है?

1. वृक्षासन
2. ताड़ासन
3. गरुड़ासन
4. 'एकपादस्कन्धासन

3. 'पातञ्जल' योग सूत्र के अनुसार एकतत्त्व का अभ्यास किसे दूर करता है?
1. विक्षेप
2. क्लेश
3. दुःख
4. मृत्यु भय

4. व्यक्तित्व के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त के जनक कौन हैं?
1. फ्रायड
2. एडलर
3. जुंग
4. हिप्पोक्रेट्स

5. एक योगाभ्यासी को मिताहार करते समय उदर का कितना भाग रिक्त रखना चाहिए?
1. एक-तिहाई भाग
2. एक-चौथाई भाग
3. आधा भाग
4. दो-तिहाई भाग

6. सूची-i को सूची-ii से सुमेलित कीजिए :
            सूची-i                              सूची-ii  
(a) यौगिक सूक्ष्म व्यायाम      (i) महर्षि महेश योगी
(b) भावातीत ध्यान                (ii) देव संस्कृति विश्वविद्यालय
(c) सविता की ध्यान-धारणा   (iii) स्वामी धीरेन्द्र ब्रह्मचारी
(d) चक्रीय ध्यान                    (iv) एस. व्यासा
(e) योग निद्रा                         (v) बिहार योग विद्यालय
दिए गए विकल्प में से सही उत्तर चयन कीजिए :
1. (a)-(i), (b)-(ii), (c)-(iii), (d)-(iv), (e)-(v)
2. (a)-(ii), (b)-(iii), (c)-(v), (d)-(iv), (e)-(i)
3. (a)-(iii), (b)-(i), (c)-(ii), (d)-(iv), (e)-(v)
4. (a)-(v), (b)-(iv), (c)-(i), (d)-(ii), (e)-(iii)

7. सर्वांगशोधन किसके द्वारा किया जा सकता है?
1. धौति और बस्ति
2. बस्ति और नेति
3. भस्त्राकर्म और नोलि
4. बस्ति और भस्त्राकर्म

8. 'योगवाशिष्ठ' के अनुसार निम्नलिखित में से ज्ञान की कौन सी षष्ठ अवस्था है?

1. तनुमानसा
2. असंसक्ति
3. तुर्यगा
4. पदार्थ भावना

9. भगवदगीता' के अनुसार सर्वकर्मसिद्धि के कितने कारणों का उल्लेख है?
1. आठ
2. छः
3. पाँच
4. तीन

10. महाभारत के उस पर्व का नाम बताएँ जिसमें विष्णुसहस्त्रनाम उल्लेखित है।
1. भीष्म पर्व
2. आदि पर्व
3. शान्ति पर्व
4. द्रोण पर्व

11. हठप्रदीपिका के अनुसार एक योगाभ्यासी के लिए कौन से आहार द्रव्य निषिद्ध हैं?
(a) तिल
(b) यव
(c) सर्षप
(d) शुन्ठी
सही विकल्प चुनिए
1. (a) और (c)  
2. (b) और (d)  
3. (c) और (d)
4. (b) और (c)

12. निम्नलिखित में से किन आसनों का 'शिव संहिता' में उल्लेख नहीं किया गया है?
(a) सिद्धासन
(b) उग्रासन
(c) भद्रासन
(d) मुक्तासन
सही विकल्प चुनिए :
1. (a) और (b)  
2. (b) और (c)  
3. (c) और (d)
4. (a) और (d)

13. "हठप्रदीपिका' के अनुसार कुलवधू किसे कहा गया है?
1. खेचरीमुद्रा
2. शाम्भवी मुद्रा
3. महामुद्रा
4. शक्तिचालिनी मुद्रा

14. महर्षि पतंजलि नें 'प्रच्छर्दनविधारणाभ्याम्‌ वा प्राणस्पः सूत्र में किसका उपाय बताया गया है?
1. चित्तस्थिरता
2. चित्तशुद्धि
3. समाधि
4. ईश्वरप्राप्ति

15. बौद्ध दर्शन के अनुसार 'सम्यक्‌ व्यायाम' का आशय है :
1. वाक शुद्धि  
2. कर्म शुद्धि
3. आजीविका शुद्धि
4. विचार शुद्धि

16. उड्डियान बंध के अभ्यास में मुख्यतः कौन सी मांसपेशियां प्रभावित होती हैं?
1. उदरीय पेशियाँ
2. वक्षीय पेशियाँ
3.कन्ठीय पेशियाँ
4. पृष्ठवंशीय पेशियाँ

17. नीचे दो कथन दिए गए हैं, जिनमें से एक अभिकथन (A) और दूसरा तर्क (R) है:
अभिकथन (A)  ध्यान की शिक्षण-पद्धति के लिए शांत वातावरण उत्पन्न करना आवश्यक है ताकि ध्यानात्मक मनःस्थिति उत्पन्न हो सके।
तर्क (R) समस्त योगाभ्यास ध्यानामक मनःस्थिति के निर्माण में योगदान करते हैं।
उपर्युक्त दोनों कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से सही विकल्प चुनिए :
1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, परन्तु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है ।
3.  (A) सही है, परन्तु (R) ग़लत है।
4. (A) ग़लत है, परन्तु (R) सही है।

18. “हठप्रदीपिका' के अनुसार लय का लक्षण क्या है?
1. विषय में प्रवृत्ति
2. विषय में गहन प्रतिष्ठा
3. विषय में तल्‍लीन होना
4. विषय विस्मृति

19. 'घेरण्डसंहिता' में दन्‍तमूलधौति के लिये किस रस का प्रयोग बताया गया है?
1. नीम रस
2. खदिर रस
3. बबूल रस
4. तिक्त रस 

20. 'नादबिन्दु' उपनिषद्‌ के अनुसार ओंकार की कितनी मात्राएँ बताई गई हैं?
1. तीन
2. पाँच
3. बारह
4. पन्द्रह

21. नीचे दो कथन दिए गए हैं, जिनमें से एक अभिकथन (A) और दूसरा तर्क (R) है:
अभिकथन (A) प्रकाश संवेदक वर्णक नेत्र के शंकू में विद्यमान होते हैं।
तर्क (R) : तीन प्रकार के शंकू और उनके प्रकाशवर्णक के विभिन्न संयुग्मन द्वारा अलग-अलग वर्णों के संवेदक उत्पन्न नहीं होते हैं।
उपर्युक्त दोनों कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से सही विकल्प चुनिॆए:
1. (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
2. (A) और (R) दोनों सही हैं, परन्तु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है ।
3.  (A) सही है, परन्तु (R) ग़लत है।
4. (A) ग़लत है, परन्तु (R) सही है।

22. “दुःख-दौर्मनस्य-अंगमेजयत्व श्वास-प्रश्नास विक्षेपसहभुवः”
यह पतंजलि योग सूत्र किसके लक्षणों के बारे में बतलाता हैं?

1. प्राणिक शरीर
2. भौतिक शरीर
3. कारण शरीर
4. सूक्ष्म शरीर

23. निम्नलिखित को “भगवद्गीता' के अनुसार श्रेष्ठता की दृष्टि से क्रमबद्ध करें:
(a) अभ्यास
(b) ज्ञान
(c) परमेश्वर का ध्यान
(d) सब कर्मों में फल त्याग
सही विकल्प चुनिए:
1. (a)-(c)-(b)-(d)
2. (a)-(b)-(c)-(d)
3. (a)-(d)-(b)-(c)  
4. (b)-(c)-(d)-(a)

24. 'भगवदगीता' के अनुसार रजोगुण का क्या परिणाम होता है?
1. लोभ
2. मोह
3. काम
4. मद

25. निन्मलिखित मे से क्या-क्या सुक्ष्म पोषक तत्व है
1. वास
2. विटामिन
3. खनिज लवण
4. प्रोटीन
सही विकल्प चुनिए:
1. (b) और (c)  
2. (a) और (b)  
3. (a) और (c)
4. (c) और (d)

Answer- 1- (4), 2- (4), 3- (1), 4- (1), 5- (2), 6- (3), 7- (4), 8- (4), 9- (3), 10- (3), 11- (1), 12- (3), 13- (2), 14- (2), 15- (4), 16- (1), 17- (2), 18- (4), 19- (2), 20- (3), 21- (3), 22- (2), 23- (2), 24- (3), 25- (1)

योगसूत्र का सामान्य परिचय

घेरण्ड संहिता का सामान्य परिचय

हठयोग प्रदीपिका का सामान्य परिचय


Comments

Popular posts from this blog

"चक्र " - मानव शरीर में वर्णित शक्ति केन्द्र

7 Chakras in Human Body हमारे शरीर में प्राण ऊर्जा का सूक्ष्म प्रवाह प्रत्येक नाड़ी के एक निश्चित मार्ग द्वारा होता है। और एक विशिष्ट बिन्दु पर इसका संगम होता है। यह बिन्दु प्राण अथवा आत्मिक शक्ति का केन्द्र होते है। योग में इन्हें चक्र कहा जाता है। चक्र हमारे शरीर में ऊर्जा के परिपथ का निर्माण करते हैं। यह परिपथ मेरूदण्ड में होता है। चक्र उच्च तलों से ऊर्जा को ग्रहण करते है तथा उसका वितरण मन और शरीर को करते है। 'चक्र' शब्द का अर्थ-  'चक्र' का शाब्दिक अर्थ पहिया या वृत्त माना जाता है। किन्तु इस संस्कृत शब्द का यौगिक दृष्टि से अर्थ चक्रवात या भँवर से है। चक्र अतीन्द्रिय शक्ति केन्द्रों की ऐसी विशेष तरंगे हैं, जो वृत्ताकार रूप में गतिमान रहती हैं। इन तरंगों को अनुभव किया जा सकता है। हर चक्र की अपनी अलग तरंग होती है। अलग अलग चक्र की तरंगगति के अनुसार अलग अलग रंग को घूर्णनशील प्रकाश के रूप में इन्हें देखा जाता है। योगियों ने गहन ध्यान की स्थिति में चक्रों को विभिन्न दलों व रंगों वाले कमल पुष्प के रूप में देखा। इसीलिए योगशास्त्र में इन चक्रों को 'शरीर का कमल पुष्प” कहा ग...

सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति सामान्य परिचय

प्रथम उपदेश- पिण्ड उत्पति विचार सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति अध्याय - 2 (पिण्ड विचार) सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति के अनुसार नौ चक्रो के नाम 1. ब्रहमचक्र - मूलाधार मे स्थित है, कामनाओं की पूर्ति होती हैं। 2. स्वाधिष्ठान चक्र - इससे हम चीजो को आकर्षित कर सकते है। 3. नाभी चक्र - सिद्धि की प्राप्ति होती है। 4. अनाहत चक्र - हृदय में स्थित होता है। 5. कण्ठचक्र - विशुद्धि-संकल्प पूर्ति, आवाज मधुर होती है। 6. तालुचक्र -  घटिका में, जिह्वा के मूल भाग में,  लय सिद्धि प्राप्त होती है। 7. भ्रुचक्र -     आज्ञा चक्र - वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है। 8. निर्वाणचक्र - ब्रहमरन्ध्र, सहस्त्रार चक्र, मोक्ष प्राप्ति 9. आकाश चक्र - सहस्त्रारचक्र के ऊपर,  भय- द्वेष की समाप्ति होती है। सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति के अनुसार सोहल आधार (1) पादांगुष्ठ आधार (2) मूलाधार (3) गुदाद्वार आधार (4) मेद् आधार (5) उड्डियान आधार (6) नाभी आधार (7) हृदयाधार (8) कण्ठाधार (9) घटिकाधार (10) तालु आधार (11) जिह्वा आधार (12) भ्रूमध्य आधार (13) नासिका आधार (14) नासामूल कपाट आधार (15) ललाट आधार (16) ब्रहमरंध्र आधार सिद्ध...

हठयोगप्रदीपिका में वर्णित मुद्रायें, बंध

  हठयोगप्रदीपिका में वर्णित मुद्रायें, बंध हठयोग प्रदीपिका में मुद्राओं का वर्णन करते हुए स्वामी स्वात्माराम जी ने कहा है महामुद्रा महाबन्धों महावेधश्च खेचरी।  उड़्डीयानं मूलबन्धस्ततो जालंधराभिध:। (हठयोगप्रदीपिका- 3/6 ) करणी विपरीताख्या बज़्रोली शक्तिचालनम्।  इदं हि मुद्रादश्क जरामरणनाशनम्।।  (हठयोगप्रदीपिका- 3/7) अर्थात महामुद्रा, महाबंध, महावेध, खेचरी, उड्डीयानबन्ध, मूलबन्ध, जालन्धरबन्ध, विपरीतकरणी, वज़्रोली और शक्तिचालनी ये दस मुद्रायें हैं। जो जरा (वृद्धा अवस्था) मरण (मृत्यु) का नाश करने वाली है। इनका वर्णन निम्न प्रकार है।  1. महामुद्रा- महामुद्रा का वर्णन करते हुए हठयोग प्रदीपिका में कहा गया है- पादमूलेन वामेन योनिं सम्पीड्य दक्षिणम्।  प्रसारितं पद कृत्या कराभ्यां धारयेदृढम्।।  कंठे बंधं समारोप्य धारयेद्वायुमूर्ध्वतः।  यथा दण्डहतः सर्पों दंडाकारः प्रजायते  ऋज्वीभूता तथा शक्ति: कुण्डली सहसा भवेतत् ।।  (हठयोगप्रदीपिका- 3/9,10)  अर्थात् बायें पैर को एड़ी को गुदा और उपस्थ के मध्य सीवन पर दृढ़ता से लगाकर दाहिने पैर को फैला कर रखें...

घेरण्ड संहिता के अनुसार ध्यान

घेरण्ड संहिता में वर्णित  “ध्यान“  घेरण्ड संहिता के छठे अध्याय में ध्यान को परिभाषित करते हुए महर्षि घेरण्ड कहते हैं कि किसी विषय या वस्तु पर एकाग्रता या चिन्तन की क्रिया 'ध्यान' कहलाती है। जिस प्रकार हम अपने मन के सूक्ष्म अनुभवों को अन्‍तःचक्षु के सामने मन:दृष्टि के सामने स्पष्ट कर सके, यही ध्यान की स्थिति है। ध्यान साधक की कल्पना शक्ति पर भी निर्भर है। ध्यान अभ्यास नहीं है यह एक स्थिति हैं जो बिना किसी अवरोध के अनवरत चलती रहती है। जिस प्रकार तेल को एक बर्तन से दूसरे बर्तन में डालने पर बिना रूकावट के मोटी धारा निकलती है, बिना छलके एक समान स्तर से भरनी शुरू होती है यही ध्यान की स्थिति है। इस स्थिति में किसी भी प्रकार की हलचल नहीं होती। महर्षि घेरण्ड ध्यान के प्रकारों का वर्णन छठे अध्याय के प्रथम सूत्र में करते हुए कहते हैं कि - स्थूलं ज्योतिस्थासूक्ष्मं ध्यानस्य त्रिविधं विदु: । स्थूलं मूर्तिमयं प्रोक्तं ज्योतिस्तेजोमयं तथा । सूक्ष्मं विन्दुमयं ब्रह्म कुण्डली परदेवता ।। (घेरण्ड संहिता  6/1) अर्थात्‌ ध्यान तीन प्रकार का है- स्थूल ध्यान, ज्योतिर्ध्यान और सूक्ष्म ध्यान। स्थू...

MCQs for UGC NET YOGA (Yoga Upanishads)

1. "योगचूड़ामणि उपनिषद" में कौन-सा मार्ग मोक्ष का साधक बताया गया है? A) भक्तिमार्ग B) ध्यानमार्ग C) कर्ममार्ग D) ज्ञानमार्ग ANSWER= (B) ध्यानमार्ग Check Answer   2. "नादबिंदु उपनिषद" में किस साधना का वर्णन किया गया है? A) ध्यान साधना B) मंत्र साधना C) नादयोग साधना D) प्राणायाम साधना ANSWER= (C) नादयोग साधना Check Answer   3. "योगशिखा उपनिषद" में मोक्ष प्राप्ति का मुख्य साधन क्या बताया गया है? A) योग B) ध्यान C) भक्ति D) ज्ञान ANSWER= (A) योग Check Answer   4. "अमृतनाद उपनिषद" में कौन-सी शक्ति का वर्णन किया गया है? A) प्राण शक्ति B) मंत्र शक्ति C) कुण्डलिनी शक्ति D) चित्त शक्ति ANSWER= (C) कुण्डलिनी शक्ति Check Answer   5. "ध्यानबिंदु उपनिषद" में ध्यान का क...

MCQs on “Yoga Upanishads” in Hindi for UGC NET Yoga Paper-2

1. "योगतत्त्व उपनिषद" का मुख्य विषय क्या है? A) हठयोग की साधना B) राजयोग का सिद्धांत C) कर्मयोग का महत्व D) भक्ति योग का वर्णन ANSWER= (A) हठयोग की साधना Check Answer   2. "अमृतनाद उपनिषद" में किस योग पद्धति का वर्णन किया गया है? A) कर्मयोग B) मंत्रयोग C) लययोग D) कुण्डलिनी योग ANSWER= (D) कुण्डलिनी योग Check Answer   3. "योगछूड़ामणि उपनिषद" में मुख्य रूप से किस विषय पर प्रकाश डाला गया है? A) प्राणायाम के भेद B) मोक्ष प्राप्ति का मार्ग C) ध्यान और समाधि D) योगासनों का महत्व ANSWER= (C) ध्यान और समाधि Check Answer   4. "ध्यानबिंदु उपनिषद" में किस ध्यान पद्धति का उल्लेख है? A) त्राटक ध्यान B) अनाहत ध्यान C) सगुण ध्यान D) निर्गुण ध्यान ANSWER= (D) निर्गुण ध्यान Check Answer ...

UGC NET YOGA Upanishads MCQs

1. "योगकुण्डलिनी उपनिषद" में कौन-सी चक्र प्रणाली का वर्णन किया गया है? A) त्रिचक्र प्रणाली B) पंचचक्र प्रणाली C) सप्तचक्र प्रणाली D) दशचक्र प्रणाली ANSWER= (C) सप्तचक्र प्रणाली Check Answer   2. "अमृतबिंदु उपनिषद" में किसका अधिक महत्व बताया गया है? A) आसन की साधना B) ज्ञान की साधना C) तपस्या की साधना D) प्राणायाम की साधना ANSWER= (B) ज्ञान की साधना Check Answer   3. "ध्यानबिंदु उपनिषद" के अनुसार ध्यान का मुख्य उद्देश्य क्या है? A) शारीरिक शक्ति बढ़ाना B) सांसारिक सुख प्राप्त करना C) मानसिक शांति प्राप्त करना D) आत्म-साक्षात्कार ANSWER= (D) आत्म-साक्षात्कार Check Answer   4. "योगतत्त्व उपनिषद" के अनुसार योगी को कौन-सा गुण धारण करना चाहिए? A) सत्य और संयम B) अहंकार C) क्रोध और द्वेष D) लोभ और मोह ...

Information and Communication Technology विषय पर MCQs (Set-3)

  1. "HTTPS" में "P" का अर्थ क्या है? A) Process B) Packet C) Protocol D) Program ANSWER= (C) Protocol Check Answer   2. कौन-सा उपकरण 'डेटा' को डिजिटल रूप में परिवर्तित करता है? A) हब B) मॉडेम C) राउटर D) स्विच ANSWER= (B) मॉडेम Check Answer   3. किस प्रोटोकॉल का उपयोग 'ईमेल' भेजने के लिए किया जाता है? A) SMTP B) HTTP C) FTP D) POP3 ANSWER= (A) SMTP Check Answer   4. 'क्लाउड स्टोरेज' सेवा का एक उदाहरण क्या है? A) Paint B) Notepad C) MS Word D) Google Drive ANSWER= (D) Google Drive Check Answer   5. 'Firewall' का मुख्य कार्य क्या है? A) फाइल्स को एनक्रिप्ट करना B) डेटा को बैकअप करना C) नेटवर्क को सुरक्षित करना D) वायरस को स्कैन करना ANSWER= (C) नेटवर्क को सुरक्षित करना Check Answer   6. 'VPN' का पू...

हठयोग प्रदीपिका में वर्णित प्राणायाम

हठयोग प्रदीपिका में प्राणायाम को कुम्भक कहा है, स्वामी स्वात्माराम जी ने प्राणायामों का वर्णन करते हुए कहा है - सूर्यभेदनमुज्जायी सीत्कारी शीतल्री तथा।  भस्त्रिका भ्रामरी मूर्च्छा प्लाविनीत्यष्टकुंम्भका:।। (हठयोगप्रदीपिका- 2/44) अर्थात् - सूर्यभेदन, उज्जायी, सीत्कारी, शीतली, भस्त्रिका, भ्रामरी, मूर्छा और प्लाविनी में आठ प्रकार के कुम्भक (प्राणायाम) है। इनका वर्णन ऩिम्न प्रकार है 1. सूर्यभेदी प्राणायाम - हठयोग प्रदीपिका में सूर्यभेदन या सूर्यभेदी प्राणायाम का वर्णन इस प्रकार किया गया है - आसने सुखदे योगी बदध्वा चैवासनं ततः।  दक्षनाड्या समाकृष्य बहिस्थं पवन शनै:।।  आकेशादानखाग्राच्च निरोधावधि क्रुंभयेत। ततः शनैः सव्य नाड्या रेचयेत् पवन शनै:।। (ह.प्र. 2/48/49) अर्थात- पवित्र और समतल स्थान में उपयुक्त आसन बिछाकर उसके ऊपर पद्मासन, स्वस्तिकासन आदि किसी आसन में सुखपूर्वक मेरुदण्ड, गर्दन और सिर को सीधा रखते हुए बैठेै। फिर दाहिने नासारन्ध्र अर्थात पिंगला नाडी से शनैः शनैः पूरक करें। आभ्यन्तर कुम्भक करें। कुम्भक के समय मूलबन्ध व जालन्धरबन्ध लगा कर रखें।  यथा शक्ति कुम्भक के प...