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UGC NET Yoga previous MCQ in Hindi

UGC NET Yoga previous Paper MCQ अभिकथन और तर्क के Question-Answers

नोट:- इस प्रश्नपत्र में (25) बहुसंकल्पीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न के दो (2) अंक है। सभी प्रश्न अनिवार्य  

1. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : यौगिक विधियाँ अपनाकर रोगों का प्रबंधन योग चिकित्सा कहलाता है।
तर्क (R) : योग चिकित्सा निवारात्मक, उपचारात्मक और पुनर्वासात्मक है।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

2. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : ताड़ासन से बच्चों की लंबाई बढ़ती है।
तर्क (R) : ताड़ासन से पेशियों, अस्थिबंध और पूरे मेरूदण्ड में खिंचाव आता है जो लंबाई बढ़ाने में सहायक होता है।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्मलिखित में से कौन सा सही है?

(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

3. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : यौगिक अभ्यास का उत्तम समय ब्रह्ममुहूर्त है।
तर्क (R) : ब्रह्ममुहूर्त के समय वातावरण शुद्ध और शांत रहता है, तथा चेतना के स्तर पर मन पर कोई गहरी छाप नहीं होती।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नही है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

4. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : विद्या से अमरत्व प्राप्त होता है।
तर्क (R) :  तत्वज्ञान मोक्षप्राप्ति का साधन है।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

5. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : योगाभ्यास के लिये मिताहार अनिवार्य है।
तर्क (R) : मधुर तथा स्निग्ध भोजन करना एवं एक चौथाई पेट को खाली रखना मिताहार की विशेषताएं हैं। 
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

6. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : अशुद्ध नाड़ियाँ उन्‍मनीभाव की अवस्था में व्यवधान हैं।
तर्क (R) : प्राणायाम के अभ्यास के पूर्व नाड़ीशोधन अनिवार्य है।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

7. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : पीलिया में त्वचा और श्लेष्मल झिल्ली का रंग बिगड़क़र पीला हो जाता है।
तर्क (R) : पीलिया रोग सीरम बिलिरुबिन स्तर के बढ़ जाने के कारण होता है।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है। |
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

8. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : मनोविज्ञान में अवलोकन विधि व्यक्तित्व के मूल्यांकन की एक लोकप्रिय विधि है।
तर्क (R) :  अवलोकन में किसी व्यक्ति की व्यवहार अभिरचना का वास्तविक जीवन परिस्थितियों में अध्ययन किया जाता है।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

9. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : सात्विक आहार योगाभ्यासी के लिए उपयोगी है।
तर्क (R) : योगाभ्यासी को अम्लीय, लवणीय, बासी और अशुद्ध आहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

10. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : नौकासन मोटे व्यक्तियों के लिये लाभदायक है।
तर्क (R) : नौकासन से पेट दबता है, पाचन शक्ति बढ़ती है और पेट की वसा कम करने में सहायक होता है।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

11. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : प्रसंस्कृत मांस के सेवन से कैंसर होता है।
तर्क (R) : वैज्ञानिक अध्ययन से प्राप्त साक्ष्य के अनुसार प्रसंस्कृत मांस के सेवन और कोलोरेक्टल कैंसर होने के बीच सीधा संबंध है।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है। |
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

12. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : ध्यान, तनाव जनित माइग्रेन दूर करने में सहायक होता है।
तर्क (R) : ध्यान के अभ्यास से कॉर्टिसोल के स्राव में कमी आती है, मन को विश्रान्ति होती है और इससे तनाव जनित माइग्रेन दूर होता है।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है। |
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

13. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) :  समुदाय एक बड़े शिक्षण साधन के रूप में कार्य करता है।
तर्क (R) : छात्रों को सामुदायिक विकास परियोजनाओं का अवलोकन करवा कर जीवंत तरीके से अनेक तथ्यों के बारे में शिक्षित किया जा सकता है।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है। |
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

14. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : धनुरासन हर्निया व्याधि में निषिद्ध है।
तर्क (R) : धनुरासन पीछे झुकने संबंधी आसन है, जिससे उदर की अग्रवर्ती दीवार पर दबाव में वृद्धि होती है, इसलिए यह आसन हर्निया में नुकसानदायक है।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है। |
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

15. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : भगवद्‌ गीता के अनुसार, सांख्य और योग दर्शन पद्धतियाँ दो सर्वाधिक प्राचीन पद्धतियां हैं।
तर्क (R) : सांख्य और योग पद्धतियां क्रमश: ज्ञान और कर्म के मार्ग हैं।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है। |
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

16. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) :  गुरु छात्रों के लिए शिक्षक से अधिक एक मार्गदर्शक होता है।
तर्क (R) : गुरु छात्रों में उन्हीं क्षमताओं के विकास का प्रयास करता है, जिन्हें वह स्वयं पहले अनुभव कर चुका है।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

17. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : तनाव अपने आपमें एक लक्षण है, लेकिन व्याधि नहीं है।
तर्क (R) : हानिकारक बाह्य उद्दीपकों का तात्कालिक परिणाम तनाव की अवस्था के रूप में सामने आता है, जिससे विभिन्न व्याधियाँ उत्पन्न होती हैं।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

18. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : स्वस्थ जीवन शैली के लिए यौगिक आहार वाँछित है।
तर्क (R) : जीवन शैली का प्रबंधन योग के उद्देश्यों का अभिन्न अवयव है।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

19. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) :  राजसिक आहार योगाभ्यासी के लिए लाभदायी नहीं होता है।
तर्क (R) : कटु, लवणीय और तीक्ष्ण आहार रजस्‌ गुण में वृद्धि करता है, जो योग साधना में एक बाधक है।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।  

20. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : कटु, तिक्त और कषाय रस प्रधान आहार वात प्रकृति के व्यक्तियों के लिए लाभदायी नहीं होता है।
तर्क (R) : कटु, तिक्‍त और कषाय रस प्रधान आहार का अत्यधिक सेवन करने से वात दोष में वृद्धि होती है।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है। 

21. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : प्राणायाम के गलत अभ्यास से विभिन्न व्याधियाँ उत्पन्न होती हैं।
तर्क (R) : प्राणायाम के गलत अभ्यास से वायु में व्यवधान उत्पन्न होता है, जिससे हिक्का, श्वास, कास, शिर:शूल, कर्ण शूल, नेत्र शूल और अन्य व्याधियाँ होती हैं।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

22. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) :  सिद्धासन 72,000 नाडियों की शुद्धि करता है।
तर्क (R) :  हठ प्रदीपिका के अनुसार, कुल 84 आसनों में से सिद्धासन सर्वश्रेष्ठ है, जो नाडियों की शुद्धि करता है।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है। 

23. नीचे दिये गये दो कथनों  में से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को तर्क (R) की संज्ञा दी गई है। नीचे दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
अभिकथन (A) : एक अच्छा शिक्षक हजार पुजारियों के बराबर होता है।
तर्क (R) :  शिक्षक विद्यार्थियों को अपने अंदर झांकने के लिए प्रेरित करता है।
उपरोक्त दो कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

24. सूची- i को सूची- ii के साथ सुमेलित करें और नीचे दिये गये कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुनें :

      सूची- i                 सूची- ii        
(a)
विटामिन A        (i) हडिडयों को मजबूत बनाता है
(b)
विटामिन D       (ii) हीमोग्लोबिन निर्माण हेतु अनिवार्य
(c)
विटामिन K       (iii) अच्छी दृष्टि के लिये आवश्यक
(d)
लौह तत्व           (iv) रक्‍त जमने के लिये अनिवार्य
कूट:
       (a)   (b)    (c)    (d)
(1)  (iv)   (iii)   (ii)    (i)
(2)   (i)    (ii)    (iii)  (iv)
(3)  (
iii)    (i)    (iv)   (ii)
(4)  (iv)   (iii)   (i)     (ii) 

25. सूची- i को सूची- ii के साथ सुमेलित करें और नीचे दिये गये कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुनें :

        सूची- i                          सूची- ii        
(a)
नमस्कारासन           (i) ॐ रवये नमः
(b)
पादहस्तासन           (ii)  ॐ मित्राय नम:
(c)
हस्त- उत्तानासन     (iii) ॐ सूर्याय नमः
(d)
श्वसंचालनासन     (iv) ॐ भानवे नमः
कूट:
       (a)   (b)    (c)    (d)
(1)  (iv)  (iii)   (ii)    (i)
(2)  (
ii)   (iii)   (i)    (iv)
(3) (iv)    (i)    (ii)   (iii)
(4) (iv)   (iii)   (i)    (ii)

  Answer- 1- (1), 2- (1), 3- (1), 4- (2), 5- (1), 6- (2), 7- (1), 8- (1), 9- (2), 10- (1), 11- (1), 12- (1), 13- (1), 14- (1), 15- (2), 16- (1), 17- (1), 18- (2), 19- (1), 20- (2), 21- (2), 22- (1), 23- (1), 24- (3), 25- (2)  

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हठप्रदीपिका के अनुसार षट्कर्म हठयोगप्रदीपिका हठयोग के महत्वपूर्ण ग्रन्थों में से एक हैं। इस ग्रन्थ के रचयिता योगी स्वात्माराम जी हैं। हठयोग प्रदीपिका के द्वितीय अध्याय में षटकर्मों का वर्णन किया गया है। षटकर्मों का वर्णन करते हुए स्वामी स्वात्माराम  जी कहते हैं - धौतिर्बस्तिस्तथा नेतिस्त्राटकं नौलिकं तथा।  कपालभातिश्चैतानि षट्कर्माणि प्रचक्षते।। (हठयोग प्रदीपिका-2/22) अर्थात- धौति, बस्ति, नेति, त्राटक, नौलि और कपालभोंति ये छ: कर्म हैं। बुद्धिमान योगियों ने इन छः कर्मों को योगमार्ग में करने का निर्देश किया है। इन छह कर्मों के अतिरिक्त गजकरणी का भी हठयोगप्रदीपिका में वर्णन किया गया है। वैसे गजकरणी धौतिकर्म के अन्तर्गत ही आ जाती है। इनका वर्णन निम्नलिखित है 1. धौति-  धौँति क्रिया की विधि और  इसके लाभ एवं सावधानी- धौँतिकर्म के अन्तर्गत हठयोग प्रदीपिका में केवल वस्त्र धौति का ही वर्णन किया गया है। धौति क्रिया का वर्णन करते हुए योगी स्वात्माराम जी कहते हैं- चतुरंगुल विस्तारं हस्तपंचदशायतम। . गुरूपदिष्टमार्गेण सिक्तं वस्त्रं शनैर्गसेत्।।  पुनः प्रत्याहरेच्चैतदुदितं ध...

हठयोग प्रदीपिका में वर्णित प्राणायाम

हठयोग प्रदीपिका में प्राणायाम को कुम्भक कहा है, स्वामी स्वात्माराम जी ने प्राणायामों का वर्णन करते हुए कहा है - सूर्यभेदनमुज्जायी सीत्कारी शीतल्री तथा।  भस्त्रिका भ्रामरी मूर्च्छा प्लाविनीत्यष्टकुंम्भका:।। (हठयोगप्रदीपिका- 2/44) अर्थात् - सूर्यभेदन, उज्जायी, सीत्कारी, शीतली, भस्त्रिका, भ्रामरी, मूर्छा और प्लाविनी में आठ प्रकार के कुम्भक (प्राणायाम) है। इनका वर्णन ऩिम्न प्रकार है 1. सूर्यभेदी प्राणायाम - हठयोग प्रदीपिका में सूर्यभेदन या सूर्यभेदी प्राणायाम का वर्णन इस प्रकार किया गया है - आसने सुखदे योगी बदध्वा चैवासनं ततः।  दक्षनाड्या समाकृष्य बहिस्थं पवन शनै:।।  आकेशादानखाग्राच्च निरोधावधि क्रुंभयेत। ततः शनैः सव्य नाड्या रेचयेत् पवन शनै:।। (ह.प्र. 2/48/49) अर्थात- पवित्र और समतल स्थान में उपयुक्त आसन बिछाकर उसके ऊपर पद्मासन, स्वस्तिकासन आदि किसी आसन में सुखपूर्वक मेरुदण्ड, गर्दन और सिर को सीधा रखते हुए बैठेै। फिर दाहिने नासारन्ध्र अर्थात पिंगला नाडी से शनैः शनैः पूरक करें। आभ्यन्तर कुम्भक करें। कुम्भक के समय मूलबन्ध व जालन्धरबन्ध लगा कर रखें।  यथा शक्ति कुम्भक के प...

Pranayama (Kumbhaka) : Hatha Yoga Pradipika

"Pranayama" according to Hatha Yoga Pradipika Pranayama described in Hatha Yoga Pradipika has been called Kumbhaka, Swami Swatmarama ji while describing Pranayama has said - Suryabhedanmujjayi Sitkari Sheetali  tatha. Bhastrika Bhramari Moorchchha Plavnityashtakumbhaka. (H.P- 2/44) सूर्यभेदनमुज्जयी सीतकारी शीतली तथा। भस्त्रिका भ्रामरी मूर्च्छ प्लव्नित्याष्टकुंभका। (हठ योग प्रदीपिका - 2/44) That is, there are eight types of Kumbhak (Pranayama)- Suryabhedan, Ujjayi, Sitkari, Sheetali, Bhastrika, Bhramari, Murcha and Plavini. Their description is as follows- 1. Suryabhedi Pranayama - Describing Suryabhedan or Suryabhedi Pranayama in Hatha Yoga Pradipika, it has been said that - Spreading a suitable seat in a holy and flat place, sit on it comfortably in any posture like Padmasan, Swastikasan etc. and keep the spine, neck and head straight. Then slowly supplement with the right nostril i.e. Pingala Nadi. Do Abhyantar Kumbhak. At the time of Kumbhak, keep Moolabandha and...

सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति सामान्य परिचय

प्रथम उपदेश- पिण्ड उत्पति विचार सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति अध्याय - 2 (पिण्ड विचार) सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति के अनुसार नौ चक्रो के नाम 1. ब्रहमचक्र - मूलाधार मे स्थित है, कामनाओं की पूर्ति होती हैं। 2. स्वाधिष्ठान चक्र - इससे हम चीजो को आकर्षित कर सकते है। 3. नाभी चक्र - सिद्धि की प्राप्ति होती है। 4. अनाहत चक्र - हृदय में स्थित होता है। 5. कण्ठचक्र - विशुद्धि-संकल्प पूर्ति, आवाज मधुर होती है। 6. तालुचक्र -  घटिका में, जिह्वा के मूल भाग में,  लय सिद्धि प्राप्त होती है। 7. भ्रुचक्र -     आज्ञा चक्र - वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है। 8. निर्वाणचक्र - ब्रहमरन्ध्र, सहस्त्रार चक्र, मोक्ष प्राप्ति 9. आकाश चक्र - सहस्त्रारचक्र के ऊपर,  भय- द्वेष की समाप्ति होती है। सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति के अनुसार सोहल आधार (1) पादांगुष्ठ आधार (2) मूलाधार (3) गुदाद्वार आधार (4) मेद् आधार (5) उड्डियान आधार (6) नाभी आधार (7) हृदयाधार (8) कण्ठाधार (9) घटिकाधार (10) तालु आधार (11) जिह्वा आधार (12) भ्रूमध्य आधार (13) नासिका आधार (14) नासामूल कपाट आधार (15) ललाट आधार (16) ब्रहमरंध्र आधार सिद्ध...

हठयोगप्रदीपिका में वर्णित मुद्रायें, बंध

  हठयोगप्रदीपिका में वर्णित मुद्रायें, बंध हठयोग प्रदीपिका में मुद्राओं का वर्णन करते हुए स्वामी स्वात्माराम जी ने कहा है महामुद्रा महाबन्धों महावेधश्च खेचरी।  उड़्डीयानं मूलबन्धस्ततो जालंधराभिध:। (हठयोगप्रदीपिका- 3/6 ) करणी विपरीताख्या बज़्रोली शक्तिचालनम्।  इदं हि मुद्रादश्क जरामरणनाशनम्।।  (हठयोगप्रदीपिका- 3/7) अर्थात महामुद्रा, महाबंध, महावेध, खेचरी, उड्डीयानबन्ध, मूलबन्ध, जालन्धरबन्ध, विपरीतकरणी, वज़्रोली और शक्तिचालनी ये दस मुद्रायें हैं। जो जरा (वृद्धा अवस्था) मरण (मृत्यु) का नाश करने वाली है। इनका वर्णन निम्न प्रकार है।  1. महामुद्रा- महामुद्रा का वर्णन करते हुए हठयोग प्रदीपिका में कहा गया है- पादमूलेन वामेन योनिं सम्पीड्य दक्षिणम्।  प्रसारितं पद कृत्या कराभ्यां धारयेदृढम्।।  कंठे बंधं समारोप्य धारयेद्वायुमूर्ध्वतः।  यथा दण्डहतः सर्पों दंडाकारः प्रजायते  ऋज्वीभूता तथा शक्ति: कुण्डली सहसा भवेतत् ।।  (हठयोगप्रदीपिका- 3/9,10)  अर्थात् बायें पैर को एड़ी को गुदा और उपस्थ के मध्य सीवन पर दृढ़ता से लगाकर दाहिने पैर को फैला कर रखें...

घेरण्ड संहिता के अनुसार ध्यान

घेरण्ड संहिता में वर्णित  “ध्यान“  घेरण्ड संहिता के छठे अध्याय में ध्यान को परिभाषित करते हुए महर्षि घेरण्ड कहते हैं कि किसी विषय या वस्तु पर एकाग्रता या चिन्तन की क्रिया 'ध्यान' कहलाती है। जिस प्रकार हम अपने मन के सूक्ष्म अनुभवों को अन्‍तःचक्षु के सामने मन:दृष्टि के सामने स्पष्ट कर सके, यही ध्यान की स्थिति है। ध्यान साधक की कल्पना शक्ति पर भी निर्भर है। ध्यान अभ्यास नहीं है यह एक स्थिति हैं जो बिना किसी अवरोध के अनवरत चलती रहती है। जिस प्रकार तेल को एक बर्तन से दूसरे बर्तन में डालने पर बिना रूकावट के मोटी धारा निकलती है, बिना छलके एक समान स्तर से भरनी शुरू होती है यही ध्यान की स्थिति है। इस स्थिति में किसी भी प्रकार की हलचल नहीं होती। महर्षि घेरण्ड ध्यान के प्रकारों का वर्णन छठे अध्याय के प्रथम सूत्र में करते हुए कहते हैं कि - स्थूलं ज्योतिस्थासूक्ष्मं ध्यानस्य त्रिविधं विदु: । स्थूलं मूर्तिमयं प्रोक्तं ज्योतिस्तेजोमयं तथा । सूक्ष्मं विन्दुमयं ब्रह्म कुण्डली परदेवता ।। (घेरण्ड संहिता  6/1) अर्थात्‌ ध्यान तीन प्रकार का है- स्थूल ध्यान, ज्योतिर्ध्यान और सूक्ष्म ध्यान। स्थू...

घेरण्ड संहिता में वर्णित धौति

घेरण्ड संहिता के अनुसार षट्कर्म- षट्कर्म जैसा नाम से ही स्पष्ट है छः: कर्मो का समूह वे छः कर्म है- 1. धौति 2. वस्ति 3. नेति 4. नौलि 5. त्राटक 6. कपालभाति । घेरण्ड संहिता में षटकर्मो का वर्णन विस्तृत रूप में किया गया है जिनका फल सहित वर्णन निम्न प्रकार है। 1. धौति   घेरण्ड संहिता में वर्णित धौति-   धौति अर्थात धोना (सफाई करना) जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा इससे अन्तःकरण की सफाई की जाती है। इसलिए इसका नाम धौति पड़ा। घेरण्ड संहिता में महर्षि घेरण्ड ने चार प्रकार की धौति का वर्णन किया है- (क) अन्त: धौति  (ख) दन्त धौति (ग) हृद धौति (घ) मूलशोधन (क) अन्त: धौति-   अन्त:का अर्थ आंतरिक या भीतरी तथा धौति का अर्थ है धोना या सफाई करना। वस्तुत: शरीर और मन को विकार रहित बनाने के लिए शुद्धिकरण अत्यन्त आवश्यक है। अन्त: करण की शुद्धि के लिए चार प्रकार की अन्त: धौति बताई गई है- 1. वातसार अन्त: धौति 2. वारिसार अन्त: धौति 3. अग्निसार अन्त: धौति 4. बहिष्कृत अन्त: धौति 1. वातसार अन्त: धौति-  वात अर्थात वायु तत्व या हवा से अन्तःकरण की सफाई करना ही वातसार अन्त: धौति है। महर्षि ...

घेरण्ड संहिता का सामान्य परिचय

  घेरण्ड संहिता महर्षि घेरण्ड और राजा चण्डिकापालि के संवाद रूप में रचित घेरण्ड संहिता महर्षि घेरण्ड की अनुपम कृति है। इस के योग को घटस्थ योग या सप्तांग योग भी कहा गया है। घेरण्ड संहिता के  सात अध्याय है तथा योग के सात अंगो की चर्चा की गई है जो घटशुद्धि के लिए आवश्यक हैं,  घेरण्ड संहिता में वर्णित योग को सप्तांगयोग भी कहा जाता है । शाोधनं दृढता चैव स्थैर्यं धैर्य च लाघवम्।  प्रत्यक्ष च निर्लिप्तं च घटस्य सप्तसाधनम् ।। घे.सं. 9 शोधन, दृढ़ता, स्थिरता, धीरता, लघुता, प्रत्यक्ष तथा निर्लिप्तता । इन सातों के लिए उयायरूप मे शरीर शोधन के सात साधनो को कहा गया है। षटकार्मणा शोधनं च आसनेन् भवेद्दृढम्।   मुद्रया स्थिरता चैव प्रत्याहारेण धीरता।।  प्राणायामाँल्लाघवं च ध्यानात्प्रत्क्षमात्मान:।   समाधिना निर्लिप्तिं च मुक्तिरेव न संशय।। घे.सं. 10-11   अर्थात् षटकर्मों से शरीर का शोधन, आसन से दृढ़ता. मुद्रा से स्थिरता, प्रत्याहार से धीरता, प्राणायाम से लाघवं (हल्कापन), ध्यान से आत्मसाक्षात्कार तथा समाधि से निर्लिप्तभाव प्राप्त करके मुक्ति अवश्य ही हो जाएगी, इसमे ...