Skip to main content

UGC NET JRF Yoga Important MCQ in Hindi

UGC NET JRF Yoga Important MCQ with Answers (set- 8)

नोट:- इस प्रश्नपत्र में (25) बहुसंकल्पीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न के दो (2) अंक है। सभी प्रश्न अनिवार्य  

1. योग वशिष्ठ का सिद्धान्त कहलाता है :
(1) द्वैत           (2) अद्वैत
(3) द्वैताद्वैत  (4) विशिष्टाद्वैत

2. निम्नलिखित में से कौन-सा “चतर्व्यूह'' के अन्तर्गत आता है?
(1) वितर्क, विचार, आनन्द, अस्मिता
(2) ज्ञान, धर्म, ऐश्वर्य, वैराग्य
(3) मैत्री, करुणा, मुदिता, उपेक्षा
(4) ) हेय, हेयहेतु, हान, हानोपाय

3. महर्षि पतंजलि के अनुसार किनका संयोग दुःख का कारण है?
(1) दृष्टा और गुण   (2) दृष्ट और चित्त
(3) दृष्टा और दृश्य  (4) जीवात्मा और परमात्मा

4. हठ रत्नावली के अनुसार महायोग में शामिल हैं :
(a) मंत्र योग, लय योग
(b) कर्म योग, हठ योग
(c) हठ योग, राज योग
(d) ज्ञान योग, राज योग
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :
कूट :
(1) (a) और (b) सही हैं   (2) (b) और (c) सही हैं
(3) (c) और (d) सही हैं   (4) (a) और (c) सही हैं

5. घरेण्ड संहिता के अनुसार निम्नलिखित में से कौन अन्तःधौति के प्रकार नही हैं? .
(a) वहिसार धौति
(b) बहिष्कृत धौति
(c) वमन धौति
(d) दण्ड धौति
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :
कूटः
(1) (a) और (d) सही हैं (2) (a) और (b) सही हैं
(3) (b) और (c) सही हैं (4) (c) और (d) सही हैं

6. शरीर की कौन-सी ग्रंथियां बहिःस्रावी हैं ?
(a) पीयूष
(b) यकृत
(c) लारग्रंथि
(d) थाइराइड
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :
कूट:
(1) (a), (b) और (c) सही हैं (2) (b) (c) और (d) सही हैं
(3) (b) और (c) सही हैं        (4) (a) और (d) सही हैं

7. निम्नलिखित में से कौन श्वसन तंत्र के कार्य हैं?
(a) संवातन (वेंटिलेशन)
(b) दृष्टि
(c) प्राण प्रक्रिया
(d) ध्वनि उत्पन्न करना
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :
कूट:
(1) (a) और (b) सही हैं      (2) (a) और (c) सही हैं
(3) (a), (c) और (d) सही हैं  (4) (a), (b) और (c) सही हैं

8. किसके अंतर्गत स्त्यान, संशय, अविरति, भ्रांति दर्शन को सम्मिलित किया जाता है?
(a) अन्तराय
(b) चित्तविक्षेप
(c) सहभुव
(d) उपविक्षेप
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :
कूटः
(1) (b) और (c) सही हैं  (2) (a) और (b) सही हैं
(3) (a) और (d) सही हैं  (4) (a) और (c) सही हैं

9. पित्त प्रकृति वाले व्यक्तियों के लिए आहार के निम्नलिखित में से कौन-से प्रकार लाभदायक हैं?
(a) अम्ल
(b) मधुर
(c) कटु
(d) शीत
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :
कूट :
(1) (b) और (d)  (2) (c) और (d)
(3) (b) और (c)  (4) (a) और (c)

10. आयुर्वेदिक ग्रन्थों के अनुसार बीमारियाँ मुख्य रूप से किस कारण होती हैं?
(a) दोष का असंतुलन
(b) प्रतिरोध क्षमता की हानि
(c) कुपोषण
(d) धातु का असंतुलन
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :
कूट :
(1) (b) और (c) सही हैं
(2) (a) और (b)सही हैं
(3) (c) और (d) सही हैं    
(4) (a) और (d) सही हैं

11. किये गये शोध से प्राप्त साक्ष्य के अनुसार, रक्त चाप में कमी का किनसे संबंध है
(a) कैटेकोलामिन में कमी
(b) कैटेकोलामिन में वृद्धि
(c) कॉर्टिसोल में कमी
(d) कॉर्टिसोल में वृद्धि
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :  
कूट:
(1) (b) और (c)   (2) (a) और (c)
(3) (b) और (d)   (4) (a) और (d)

12. निम्नलिखित में से कौन-सा संतुलनात्मक आसन है?
(a) गरुड़ासन
(b) त्रिकोणासन  
(c) नटराजासन
(d) कटिचक्रासन
कूट के अनुसार सही संयोजन चुनें :
कूट:
(1) (a) और (d)   (2) (c) और (d)
(3) (b) और (c)   (4) (a) और (c)

13. योग सूत्र के अध्यायों का सही क्रम चुनें :
(a) साधन पाद
(b) कैवल्य पाद
(c) समाधि पाद
(d) विभूति पाद
सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूट का उपयोग करें :
कूट:
(1) (a), (c), (d), (b)  (2) (b), (a), (c), (d)
(3) (c), (a), (d), (b)  (4) (a), (c), (b), (d)

14. योग वशिष्ठ के अनुसार योग की निम्नलिखित अवस्थाओं को उचित क्रम में व्यवस्थित करें :
(a) विलापनी
(b) मनन
(c) ब्रह्मवित्‌
(d) श्रवण
(e) निदिध्यासन  
सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूट का उपयोग करें :
कूट:
(1) (b), (e), (d), (a), (c)  (2) (b), (d), (e), (c), (a)
(3) (d), (b), (e), (a), (c)  (4) (d), (b), (e), (c), (a)

15. चित्त के निम्नलिखित चरणों को उचित क्रम में व्यवस्थित करें :
(a) विक्षिप्त
(b) एकाग्र  
(c) निरुद्ध
(d) क्षिप्त
सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूट का उपयोग करें :
कूट:
(1) (a), (d), (b), (c)  (2) (d), (a), (b), (
c)
(3) (a), (d), (c), (b)  (4) (d), (a), (c), (b)

16. प्राणायाम के पूर्व अनुपालन करने हेतु घेरण्ड ऋषि द्वारा वर्णित निम्नलिखित अभ्यासों को उचित क्रम में व्यवस्थित करें :
(a) मिताहार
(b) काल
(c) नाडीशुद्धि
(d) स्थान
सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूट का उपयोग करें :
कूट:
(1) (d), (b), (a), (c)  (2) (b), (d), (a), (c)
(3) (a), (b), (d), (c)  (4) (d), (b), (c), (a)

17. बड़ी आंत के निम्नलिखित भागों को उचित क्रम में व्यवस्थित कीजिये:
(
a) वृहदान्त्र
(
b) मलाशय
(
c) अन्धान्त्र
(
d) गुदा नलिका
सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूट का उपयोग करें :
कूट :
(1) (a), (b), (c), (d)  (2) (a), (c), (b), (d)
(3) (c), (a), (b), (d)  (4) (a), (c), (d), (b)

18. निर्माण के आधार पर निम्नलिखित धातुओं को उचित क्रम में व्यवस्थित करें :
(a) मेद  
(b) अस्थि  
(c) मांस
(d) रक्‍त
(e) मज्जा
सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूट का उपयोग करें :
कूट :
(1) (d), (a), (c), (b), (e)  (2) (d), (c), (a), (b), (e)
(3) (a), (c), (d), (e), (b)  (4) (c), (a), (d), (e), (b)

19. ऊपर से शुरू करते हुए प्राणिक शरीर के सही क्रम को चुनिये :
(a) प्राण
(b) उदान
(c) अपान
(d) समान
सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूट का उपयोग करें :
कूट:
(1) (a), (c), (d), (b)  (2) (b), (a), (d), (c)
(3) (c), (a), (d), (b)  (4) (a), (c), (b), (d)

20. लघु शंखप्रक्षालन विधि के निम्नलिखित आसनों को उचित क्रम में व्यवस्थित करें :
(a) कटिचक्रासन
(b) ताड़ासन
(c) तिर्यक भुजंगासन
(d) उदराकर्षासन
(e) तिर्यक ताड़ासन
सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूट का उपयोग करें :
कूट:
(1) (b), (e), (a), (c), (d)    (2) (e), (b), (c), (a), (d)
(3) (b), (e), (c), (a), (d)    (4) (e), (b), (a), (c), (d)

21. शिक्षण के चरणों के सही क्रम की पहचान करें :
(a) शिक्षण
(b) सन्धिगत व्यायाम
(c) अभ्यास
(d) मनबहलाव
सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूट का उपयोग करें :
कृूट :
(1) (a), (c), (d), (b)  (2) (b), (a), (c), (d)
(3) (c), (a), (d), (b)  (4) (a), (c), (b), (d)

22. योग प्रशिक्षण में प्रस्तुतीकरण के सही क्रम की पहचान करें :
(a) प्रदर्शन
(b) मूल्यांकन
(c) स्पष्टीकरण
(d) चर्चा
सही उत्तर के लिए निम्नलिखित कूट का उपयोग करें :
कूट:
(1) (a), (c), (d), (b)  (2) (b), (a), (c), (d)
(3) (c), (a), (d), (b)  (4) (a), (c), (b), (d)

23. सूची- i को सूची- ii के साथ सुमेलित करें और नीचे दिये गये कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुनें :
(a) वेदना       (i) रूप
(b) आदर्श      (ii) गंध
(c) वार्ता        (iii) शब्द
(d) श्रवण       (iv) स्पर्श
कूट:
       (a)   (b)    (c)    (d)
(1)  (i)    (iv)   (iii)  (ii)
(2) (iv)    (i)    (ii)   (iii)
(3) (ii)    (iii)    (i)   (iv)
(4) (iii)    (ii)   (iv)   (i)

24. सूची- i को सूची- ii के साथ सुमेलित करें और नीचे दिये गये कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुनें :
(a) सत्य             (i) क्लेश
(b) तप              (ii) यम
(c) अभिनिवेश   (iii) चित्तवृति
(d) निद्रा            (iv) क्रियायोग
कूट:

    (a)   (b)   (c)   (d)
(1) (iv)   (ii)   (iii)   (i)
(2) (iii)   (ii)   (i)   (iv)
(3) (ii)   (iv)   (i)   (iii)
(4) (iv)   (iii)  (ii)    (i)

23. सूची- i को सूची- ii के साथ सुमेलित करें और नीचे दिये गये कूट का प्रयोग करते हुए सही विकल्प चुनें :
(a) प्रमाण      (i) मिथ्या ज्ञान
(b) विकल्प    (ii) यथार्थ ज्ञान
(c) विपर्यय    (iii) विचारों का अभाव
(d) निद्रा        (iv) काल्पनिक ज्ञान
कूट:

   (a)  (b)   (c)   (d)
(1) (i)  (iii)   (ii)   (iv)
(2) (iv) (i)   (iii)   (ii)
(3) (ii)  (iv)  (i)   (iii)
(4) (ii)  (i)   (iv)  (iii)

 

Answer- 1- (2), 2- (4), 3- (3), 4- (4), 5- (4), 6- (3), 7- (3), 8- (2), 9- (4), 10- (4), 11- (2), 

12- (4), 13- (3), 14- (3), 15- (2), 16- (1), 17- (3), 18- (2), 19- (2), 20- (1), 21- (2), 22- (3), 

23- (2), 24- (3), 25- (3)

 

 To be continuous......  

Yoga MCQ

योग अध्ययन सामग्री

हठयोग

Comments

Popular posts from this blog

सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति सामान्य परिचय

प्रथम उपदेश- पिण्ड उत्पति विचार सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति अध्याय - 2 (पिण्ड विचार) सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति के अनुसार नौ चक्रो के नाम 1. ब्रहमचक्र - मूलाधार मे स्थित है, कामनाओं की पूर्ति होती हैं। 2. स्वाधिष्ठान चक्र - इससे हम चीजो को आकर्षित कर सकते है। 3. नाभी चक्र - सिद्धि की प्राप्ति होती है। 4. अनाहत चक्र - हृदय में स्थित होता है। 5. कण्ठचक्र - विशुद्धि-संकल्प पूर्ति, आवाज मधुर होती है। 6. तालुचक्र -  घटिका में, जिह्वा के मूल भाग में,  लय सिद्धि प्राप्त होती है। 7. भ्रुचक्र -     आज्ञा चक्र - वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है। 8. निर्वाणचक्र - ब्रहमरन्ध्र, सहस्त्रार चक्र, मोक्ष प्राप्ति 9. आकाश चक्र - सहस्त्रारचक्र के ऊपर,  भय- द्वेष की समाप्ति होती है। सिद्ध-सिद्धांत-पद्धति के अनुसार सोहल आधार (1) पादांगुष्ठ आधार (2) मूलाधार (3) गुदाद्वार आधार (4) मेद् आधार (5) उड्डियान आधार (6) नाभी आधार (7) हृदयाधार (8) कण्ठाधार (9) घटिकाधार (10) तालु आधार (11) जिह्वा आधार (12) भ्रूमध्य आधार (13) नासिका आधार (14) नासामूल कपाट आधार (15) ललाट आधार (16) ब्रहमरंध्र आधार सिद्ध...

घेरण्ड संहिता में वर्णित "प्राणायाम" -- विधि, लाभ एवं सावधानियाँ

घेरण्ड संहिता के अनुसार प्राणायाम घेरण्डसंहिता में महर्षि घेरण्ड ने आठ प्राणायाम (कुम्भको) का वर्णन किया है । प्राण के नियन्त्रण से मन नियन्त्रित होता है। अत: प्रायायाम की आवश्यकता बताई गई है। हठयोग प्रदीपिका की भांति प्राणायामों की संख्या घेरण्डसंहिता में भी आठ बताई गईं है किन्तु दोनो में थोडा अन्तर है। घेरण्डसंहिता मे कहा गया है- सहित: सूर्यभेदश्च उज्जायी शीतली तथा। भस्त्रिका भ्रामरी मूर्च्छा केवली चाष्टकुम्भका।। (घे.सं0 5 / 46) 1. सहित, 2. सूर्य भेदन, 3. उज्जायी, 4. शीतली, 5. भस्त्रिका, 6. भ्रामरी, 7. मूर्च्छा तथा 8. केवली ये आठ कुम्भक (प्राणायाम) कहे गए हैं। प्राणायामों के अभ्यास से शरीर में हल्कापन आता है। 1. सहित प्राणायाम - सहित प्राणायाम दो प्रकार के होते है (i) संगर्भ और (ii) निगर्भ । सगर्भ प्राणायाम में बीज मन्त्र का प्रयोग किया जाता हैँ। और निगर्भ प्राणायाम का अभ्यास बीज मन्त्र रहित होता है। (i) सगर्भ प्राणायाम- इसके अभ्यास के लिये पहले ब्रह्मा पर ध्यान लगाना है, उन पर सजगता को केन्द्रित करते समय उन्हें लाल रंग में देखना है तथा यह कल्पना करनी है कि वे लाल है और रजस गुणों से...

कठोपनिषद

कठोपनिषद (Kathopanishad) - यह उपनिषद कृष्ण यजुर्वेद की कठ शाखा के अन्तर्गत आता है। इसमें दो अध्याय हैं जिनमें 3-3 वल्लियाँ हैं। पद्यात्मक भाषा शैली में है। मुख्य विषय- योग की परिभाषा, नचिकेता - यम के बीच संवाद, आत्मा की प्रकृति, आत्मा का बोध, कठोपनिषद में योग की परिभाषा :- प्राण, मन व इन्दियों का एक हो जाना, एकाग्रावस्था को प्राप्त कर लेना, बाह्य विषयों से विमुख होकर इन्द्रियों का मन में और मन का आत्मा मे लग जाना, प्राण का निश्चल हो जाना योग है। इन्द्रियों की स्थिर धारणा अवस्था ही योग है। इन्द्रियों की चंचलता को समाप्त कर उन्हें स्थिर करना ही योग है। कठोपनिषद में कहा गया है। “स्थिराम इन्द्रिय धारणाम्‌” .  नचिकेता-यम के बीच संवाद (कहानी) - नचिकेता पुत्र वाजश्रवा एक बार वाजश्रवा किसी को गाय दान दे रहे थे, वो गाय बिना दूध वाली थी, तब नचिकेता ( वाजश्रवा के पुत्र ) ने टोका कि दान में तो अपनी प्रिय वस्तु देते हैं आप ये बिना दूध देने वाली गाय क्यो दान में दे रहे है। वाद विवाद में नचिकेता ने कहा आप मुझे किसे दान में देगे, तब पिता वाजश्रवा को गुस्सा आया और उसने नचिकेता को कहा कि तुम ...

हठयोग प्रदीपिका के अनुसार षट्कर्म

हठप्रदीपिका के अनुसार षट्कर्म हठयोगप्रदीपिका हठयोग के महत्वपूर्ण ग्रन्थों में से एक हैं। इस ग्रन्थ के रचयिता योगी स्वात्माराम जी हैं। हठयोग प्रदीपिका के द्वितीय अध्याय में षटकर्मों का वर्णन किया गया है। षटकर्मों का वर्णन करते हुए स्वामी स्वात्माराम  जी कहते हैं - धौतिर्बस्तिस्तथा नेतिस्त्राटकं नौलिकं तथा।  कपालभातिश्चैतानि षट्कर्माणि प्रचक्षते।। (हठयोग प्रदीपिका-2/22) अर्थात- धौति, बस्ति, नेति, त्राटक, नौलि और कपालभोंति ये छ: कर्म हैं। बुद्धिमान योगियों ने इन छः कर्मों को योगमार्ग में करने का निर्देश किया है। इन छह कर्मों के अतिरिक्त गजकरणी का भी हठयोगप्रदीपिका में वर्णन किया गया है। वैसे गजकरणी धौतिकर्म के अन्तर्गत ही आ जाती है। इनका वर्णन निम्नलिखित है 1. धौति-  धौँति क्रिया की विधि और  इसके लाभ एवं सावधानी- धौँतिकर्म के अन्तर्गत हठयोग प्रदीपिका में केवल वस्त्र धौति का ही वर्णन किया गया है। धौति क्रिया का वर्णन करते हुए योगी स्वात्माराम जी कहते हैं- चतुरंगुल विस्तारं हस्तपंचदशायतम। . गुरूपदिष्टमार्गेण सिक्तं वस्त्रं शनैर्गसेत्।।  पुनः प्रत्याहरेच्चैतदुदितं ध...

Yoga MCQ Questions Answers in Hindi

 Yoga multiple choice questions in Hindi for UGC NET JRF Yoga, QCI Yoga, YCB Exam नोट :- इस प्रश्नपत्र में (25) बहुसंकल्पीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न के दो (2) अंक है। सभी प्रश्न अनिवार्य ।   1. किस उपनिषद्‌ में ओंकार के चार चरणों का उल्लेख किया गया है? (1) प्रश्नोपनिषद्‌         (2) मुण्डकोपनिषद्‌ (3) माण्डूक्योपनिषद्‌  (4) कठोपनिषद्‌ 2 योग वासिष्ठ में निम्नलिखित में से किस पर बल दिया गया है? (1) ज्ञान योग  (2) मंत्र योग  (3) राजयोग  (4) भक्ति योग 3. पुरुष और प्रकृति निम्नलिखित में से किस दर्शन की दो मुख्य अवधारणाएं हैं ? (1) वेदांत           (2) सांख्य (3) पूर्व मीमांसा (4) वैशेषिक 4. निम्नांकित में से कौन-सी नाड़ी दस मुख्य नाडियों में शामिल नहीं है? (1) अलम्बुषा  (2) कुहू  (3) कूर्म  (4) शंखिनी 5. योगवासिष्ठानुसार निम्नलिखित में से क्या ज्ञानभूमिका के अन्तर्गत नहीं आता है? (1) शुभेच्छा (2) विचारणा (3) सद्भावना (4) तनुमानसा 6. प्रश्नो...

ज्ञानयोग - ज्ञानयोग के साधन - बहिरंग साधन , अन्तरंग साधन

  ज्ञान व विज्ञान की धारायें वेदों में व्याप्त है । वेद का अर्थ ज्ञान के रूप मे लेते है ‘ज्ञान’ अर्थात जिससे व्यष्टि व समष्टि के वास्तविक स्वरूप का बोध होता है। ज्ञान, विद् धातु से व्युत्पन्न शब्द है जिसका अर्थ किसी भी विषय, पदार्थ आदि को जानना या अनुभव करना होता है। ज्ञान की विशेषता व महत्त्व के विषय में बतलाते हुए कहा गया है "ज्ञानाग्नि सर्वकर्माणि भस्मसात्कुरुते तथा" अर्थात जिस प्रकार प्रज्वलित अग्नि ईंधन को जलाकर भस्म कर देती है उसी प्रकार ज्ञान रुपी अग्नि कर्म रूपी ईंधन को भस्म कर देती है। ज्ञानयोग साधना पद्धति, ज्ञान पर आधारित होती है इसीलिए इसको ज्ञानयोग की संज्ञा दी गयी है। ज्ञानयोग पद्धति मे योग का बौद्धिक और दार्शनिक पक्ष समाहित होता है। ज्ञानयोग 'ब्रहासत्यं जगतमिथ्या' के सिद्धान्त के आधार पर संसार में रह कर भी अपने ब्रह्मभाव को जानने का प्रयास करने की विधि है। जब साधक स्वयं को ईश्वर (ब्रहा) के रूप ने जान लेता है 'अहं ब्रह्मास्मि’ का बोध होते ही वह बंधनमुक्त हो जाता है। उपनिषद मुख्यतया इसी ज्ञान का स्रोत हैं। ज्ञानयोग साधना में अभीष्ट लक्ष्य को प्राप्त ...

हठयोग प्रदीपिका में वर्णित प्राणायाम

हठयोग प्रदीपिका में प्राणायाम को कुम्भक कहा है, स्वामी स्वात्माराम जी ने प्राणायामों का वर्णन करते हुए कहा है - सूर्यभेदनमुज्जायी सीत्कारी शीतल्री तथा।  भस्त्रिका भ्रामरी मूर्च्छा प्लाविनीत्यष्टकुंम्भका:।। (हठयोगप्रदीपिका- 2/44) अर्थात् - सूर्यभेदन, उज्जायी, सीत्कारी, शीतली, भस्त्रिका, भ्रामरी, मूर्छा और प्लाविनी में आठ प्रकार के कुम्भक (प्राणायाम) है। इनका वर्णन ऩिम्न प्रकार है 1. सूर्यभेदी प्राणायाम - हठयोग प्रदीपिका में सूर्यभेदन या सूर्यभेदी प्राणायाम का वर्णन इस प्रकार किया गया है - आसने सुखदे योगी बदध्वा चैवासनं ततः।  दक्षनाड्या समाकृष्य बहिस्थं पवन शनै:।।  आकेशादानखाग्राच्च निरोधावधि क्रुंभयेत। ततः शनैः सव्य नाड्या रेचयेत् पवन शनै:।। (ह.प्र. 2/48/49) अर्थात- पवित्र और समतल स्थान में उपयुक्त आसन बिछाकर उसके ऊपर पद्मासन, स्वस्तिकासन आदि किसी आसन में सुखपूर्वक मेरुदण्ड, गर्दन और सिर को सीधा रखते हुए बैठेै। फिर दाहिने नासारन्ध्र अर्थात पिंगला नाडी से शनैः शनैः पूरक करें। आभ्यन्तर कुम्भक करें। कुम्भक के समय मूलबन्ध व जालन्धरबन्ध लगा कर रखें।  यथा शक्ति कुम्भक के प...

चित्त | चित्तभूमि | चित्तवृत्ति

 चित्त  चित्त शब्द की व्युत्पत्ति 'चिति संज्ञाने' धातु से हुई है। ज्ञान की अनुभूति के साधन को चित्त कहा जाता है। जीवात्मा को सुख दुःख के भोग हेतु यह शरीर प्राप्त हुआ है। मनुष्य द्वारा जो भी अच्छा या बुरा कर्म किया जाता है, या सुख दुःख का भोग किया जाता है, वह इस शरीर के माध्यम से ही सम्भव है। कहा भी गया  है 'शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्' अर्थात प्रत्येक कार्य को करने का साधन यह शरीर ही है। इस शरीर में कर्म करने के लिये दो प्रकार के साधन हैं, जिन्हें बाह्यकरण व अन्तःकरण के नाम से जाना जाता है। बाह्यकरण के अन्तर्गत हमारी 5 ज्ञानेन्द्रियां एवं 5 कर्मेन्द्रियां आती हैं। जिनका व्यापार बाहर की ओर अर्थात संसार की ओर होता है। बाह्य विषयों के साथ इन्द्रियों के सम्पर्क से अन्तर स्थित आत्मा को जिन साधनों से ज्ञान - अज्ञान या सुख - दुःख की अनुभूति होती है, उन साधनों को अन्तःकरण के नाम से जाना जाता है। यही अन्तःकरण चित्त के अर्थ में लिया जाता है। योग दर्शन में मन, बुद्धि, अहंकार इन तीनों के सम्मिलित रूप को चित्त के नाम से प्रदर्शित किया गया है। परन्तु वेदान्त दर्शन अन्तःकरण चतुष्टय की...

"चक्र " - मानव शरीर में वर्णित शक्ति केन्द्र

7 Chakras in Human Body हमारे शरीर में प्राण ऊर्जा का सूक्ष्म प्रवाह प्रत्येक नाड़ी के एक निश्चित मार्ग द्वारा होता है। और एक विशिष्ट बिन्दु पर इसका संगम होता है। यह बिन्दु प्राण अथवा आत्मिक शक्ति का केन्द्र होते है। योग में इन्हें चक्र कहा जाता है। चक्र हमारे शरीर में ऊर्जा के परिपथ का निर्माण करते हैं। यह परिपथ मेरूदण्ड में होता है। चक्र उच्च तलों से ऊर्जा को ग्रहण करते है तथा उसका वितरण मन और शरीर को करते है। 'चक्र' शब्द का अर्थ-  'चक्र' का शाब्दिक अर्थ पहिया या वृत्त माना जाता है। किन्तु इस संस्कृत शब्द का यौगिक दृष्टि से अर्थ चक्रवात या भँवर से है। चक्र अतीन्द्रिय शक्ति केन्द्रों की ऐसी विशेष तरंगे हैं, जो वृत्ताकार रूप में गतिमान रहती हैं। इन तरंगों को अनुभव किया जा सकता है। हर चक्र की अपनी अलग तरंग होती है। अलग अलग चक्र की तरंगगति के अनुसार अलग अलग रंग को घूर्णनशील प्रकाश के रूप में इन्हें देखा जाता है। योगियों ने गहन ध्यान की स्थिति में चक्रों को विभिन्न दलों व रंगों वाले कमल पुष्प के रूप में देखा। इसीलिए योगशास्त्र में इन चक्रों को 'शरीर का कमल पुष्प” कहा ग...