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कठोपनिषद

कठोपनिषद (Kathopanishad) - यह उपनिषद कृष्ण यजुर्वेद की कठ शाखा के अन्तर्गत आता है। इसमें दो अध्याय हैं जिनमें 3-3 वल्लियाँ हैं। पद्यात्मक भाषा शैली में है। मुख्य विषय- योग की परिभाषा, नचिकेता - यम के बीच संवाद, आत्मा की प्रकृति, आत्मा का बोध, कठोपनिषद में योग की परिभाषा :- प्राण, मन व इन्दियों का एक हो जाना, एकाग्रावस्था को प्राप्त कर लेना, बाह्य विषयों से विमुख होकर इन्द्रियों का मन में और मन का आत्मा मे लग जाना, प्राण का निश्चल हो जाना योग है। इन्द्रियों की स्थिर धारणा अवस्था ही योग है। इन्द्रियों की चंचलता को समाप्त कर उन्हें स्थिर करना ही योग है। कठोपनिषद में कहा गया है। “स्थिराम इन्द्रिय धारणाम्‌” .  नचिकेता-यम के बीच संवाद (कहानी) - नचिकेता पुत्र वाजश्रवा एक बार वाजश्रवा किसी को गाय दान दे रहे थे, वो गाय बिना दूध वाली थी, तब नचिकेता ( वाजश्रवा के पुत्र ) ने टोका कि दान में तो अपनी प्रिय वस्तु देते हैं आप ये बिना दूध देने वाली गाय क्यो दान में दे रहे है। वाद विवाद में नचिकेता ने कहा आप मुझे किसे दान में देगे, तब पिता वाजश्रवा को गुस्सा आया और उसने नचिकेता को कहा कि तुम ...

21 June International yoga day yoga protocol

  21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस योग प्रोटोकाॅल   1. मंगलाचरण (वंदना)- योग का अभ्यास प्रार्थना के मनोभाव के साथ शुरू करना चाहिए। ऐसा करने से योग अभ्यास से अधिकाधिक लाभ होगा।  ॐ संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्‌ देवा भागं यथा पूर्वे सञजानाना उपासते।। अर्थात्‌ हम सभी प्रेम से मिलकर चलें, मिलकर बोलें और सभी ज्ञानी बनें। हा अपने पूर्वजों की भांति हम सभी कर्त्तव्यों का पालन करें। सदिलज,/ चालन क्रियाएं / शिथिलीकरण अभ्यास 2. सदिलज /चालन क्रिया / शिथिलीकरण के अभ्यास  शरीर में सूक्ष्म संचरण बढाने में सहायता प्रदान करते हैं। इस अभ्यास को खड़े होकर या बैठकर किया जा सकता है। (क) ग्रीवा चालन (ग्रीवा शक्ति विकासक) शारीरिक स्थिति : समस्थिति ग्रीवा चालन अभ्यास विधि-  ख) स्कंध संचालन: - स्थिति : समस्थिति (सजग स्थिति) चरण : - स्कंघ खिंचाव  स्कंध संचालन अभ्यास विधि :-   (ग) कटि चालन कटि चालन (कटिशक्ति विकासक)   शारीरिक स्थिति : समस्थिति (सजग स्थिति)  अभ्यास विधि :- (घ) घुटना संचालन - शारीरिक स्थिति : समस्थिति (सजग स्थिति)  अभ्यास विधि :- ...

International yoga day | Yoga song

           अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस योग गीत “तन मन जीवन चलो संवारें योग मार्ग अपनाएँ, वैर भाव को त्याग सभी हम गीत मिलन के गायें। आनंदमय हो जीवन सबका योग यही सिखलाये हों तनाव भयमुक्त सभी जन दिव्य प्रेम सरसायें। यम और नियम हमारे सम्बल सुखमय जगत बनाएं, आसन प्राणायाम ध्यान से स्वास्थ्य शांति सब पाएं! ऊर्जावान बने सब साधक संशय सभी मिटायें विश्व एक परिवार योग कर स्वर्ग धरा पर लाएं।”

केनोपनिषद

2. केन- (केनोपनिषद- Kenopanishad)  यह उपनिषद सामवेद के “तलकवार ब्राह्मण” के 9 वें अध्याय पर है। पहले मंत्र का पहला शब्द 'केनेषितं' यानि केन से शुरू है इसलिए केन उपनिषद कहा जाता है। इसे 'जैमिनी” व “ब्राह्मणो' उपनिषद्‌ भी कहते हैं।   केनोपनिषद उपनिषद चार खण्डों में विभाजित है। प्रथम व द्वितीय खंड में- गुरु शिष्य परंपरा द्वारा प्रेरक सत्ता के बारे में बताया गया है। तीसरे और चौथे खंड में- देवताओं में अभिमान व देवी ऊमा हेमवती द्वारा "ब्रह्म तत्व' ज्ञान का उल्लेख है। मनुष्य को ” श्रेय” मार्ग की ओर प्रेरित करना इस उपनिषद का लक्ष्य है। श्रेय (ब्रह्म) को तप, दम व कर्म से अनुभव किया जाता है। ब्रह्म को ज्ञान द्वारा जानने का प्रयत्न कर सकते हैं। अमरत्व की प्राप्ति ब्रह्म ज्ञान द्वारा होती है। मुख्य विषय- इन्द्रिया एवं अन्तःकरण, स्व और मानस, सत्य का अनुभव, यक्षोपाख्यान   अंतर्यामी शक्ति- सभी इन्द्रियों का मूल परमात्मा है। जो वाणी द्वारा प्रकाशित नहीं होता बल्कि जिससे वाणी का प्रकाश होता है वह ब्रंह्म है। जो आँखों से नहीं देखा जाता बल्कि जिससे आँखें देखती है वह ब्रह्म ...

Upanishads for Yoga Exam

Introduction of Principal Upanishads (10 मुख्य उपनिषदों का परिचय) उपनिषदों की कुल 108  मानी गई है इनमें से 10 को मुख्य उपनिषद (Principal Upanishad) कहा जाता है।  कुल 108 उपनिषदों में से 20 उपनिषदों को “योग उपनिषद' कहा जाता है। मुख्य- 10, सन्‍यास- 17, वेदान्त - 24, योग - 20, शैव -14, वैष्णव -14,  शाक्त - 9 10 मुख्य उपनिषदों के नाम (Name of 10 Principal Upanishads):-                             1. ईश- (ईशावास्योपनिषद-Ishavasyopanishad) 2. केन- (केनोपनिषद- Kenopanishad) 3. कठ- (कठोपनिषद- Kathopanishad ) 4. प्रश्न- (प्रश्नोपनिषद- Prashnopanishad) 5. मुण्डक- (मुण्डकोपनिषद्- Mundakopanishad ) 6. माण्ड्क्य- (माण्डूक्योपनिषद -mandukyopanishad ) 7. ऐतरेय- (ऐतरेय उपनिषद Aitareya Upanishad ) 8. तैतिरीय- (तैतिरीय उपनिषद- Taittiriya Upanishad ) 9. छान्‍दोग्य- (छान्‍दोग्य उपनिषद- Chandogya Upanishad ) 10. बृहदारण्य- (बृहदारण्यक उपनिषद- Brihadaranyaka ...

योगबीज

  Yoga Beej for UGC NET Yoga Exam योगबीज योगबीज ग्रंथ भगवान शिव के द्वारा कहा गया यह है, यह हठ योग परंपरा का पुरातन ग्रंथ है, योग के एक बीज के रूप में इस ग्रंथ को माना जाता है। भगवान शिव एवं माता पार्वती जी के संवाद रूप इस ग्रंथ में माता पार्वती प्रश्न करती हैं एवं भगवान शिव उनका उतर देते हैं। योगबीज में कुल 182 श्लोक है (कुछ पुस्तक में 190 भी लिखा हुआ प्राप्त होता है, इस ग्रन्थ में कोई भी अध्याय नहीं है। योगबीज के रचनाकार भगवान शिव एवं श्रोता माता पार्वती है। माता पार्वती जी को सुरेश्वरि भी योग बीज में कहा गया है। योगबीज में माता पार्वती मुख्य रूप से 12 प्रश्न करती है। योग बीज में सबसे प्रथम श्लोक में आदिनाथ शिव को प्रणाम किया गया है तथा इन्हे वृषभ नाथ भी इसमें कहा गया है। शिव को इसमें उत्पत्ति करता, पालक और संहार करता कहा गया है, और सभी क्सेशों को हरने बाला शिव को कहा गया है। 1- योगबीज के अनुसार - अहंकार के नष्ट होने से ही हमे मुक्ति (मोक्ष) की प्राप्ति होती है 2- योगबीज के अनुसार 5 प्राण होते है  (लेकिन इसमें 5 प्राण के नाम नहीं बताए गए है।) 3- योगबीज के अनुसार चित्त की शु...