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UGC NET पेपर-1 Communication विषय पर MCQs (Set-1)

 

1. संचार प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण घटक कौन सा है?





ANSWER= (D) फीडबैक

 

2. ‘किसी संदेश का अर्थ समझने में बाधा उत्पन्न करने वाला तत्व’ किसे कहते हैं?





ANSWER= (B) शोर (Noise)

 

3. संचार के कितने मूलभूत प्रकार होते हैं?





ANSWER= (B) 3 (मौखिक, लिखित, और गैर-मौखिक संचार)

 

4. संचार मॉडल में "कंटेंट कोडिंग" किस चरण में होती है?





ANSWER= (A) एनकोडिंग

 

5. ‘सामूहिक संचार’ (Mass Communication) का प्रमुख उदाहरण क्या है?





ANSWER= (C) टेलीविजन प्रसारण

 

6. संचार प्रक्रिया में ‘रेडंडेंसी’ का अर्थ क्या है?





ANSWER= (A) संदेश का दोहराव

 

7. ‘शैनन और वीवर’ संचार मॉडल का मुख्य उद्देश्य क्या था?





ANSWER= (A) शोर को कम करना

 

8. ‘गेटकीपिंग’ (Gatekeeping) किस संचार प्रक्रिया से संबंधित है?





ANSWER= (B) सूचना का चयन और नियंत्रण

 

9. प्रभावी संचार का सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?





ANSWER= (D) स्पष्टता

 

10. ‘परस्पर क्रिया संचार’ (Interactive Communication) का सबसे उपयुक्त उदाहरण कौन सा है?





ANSWER= (B) ऑनलाइन चैट

 

Teaching Aptitude MCQs 


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योगवशिष्ठ ग्रन्थ का सामान्य परिचय

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घेरण्ड संहिता में वर्णित धौति

घेरण्ड संहिता के अनुसार षट्कर्म- षट्कर्म जैसा नाम से ही स्पष्ट है छः: कर्मो का समूह वे छः कर्म है- 1. धौति 2. वस्ति 3. नेति 4. नौलि 5. त्राटक 6. कपालभाति । घेरण्ड संहिता में षटकर्मो का वर्णन विस्तृत रूप में किया गया है जिनका फल सहित वर्णन निम्न प्रकार है। 1. धौति   घेरण्ड संहिता में वर्णित धौति-   धौति अर्थात धोना (सफाई करना) जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा इससे अन्तःकरण की सफाई की जाती है। इसलिए इसका नाम धौति पड़ा। घेरण्ड संहिता में महर्षि घेरण्ड ने चार प्रकार की धौति का वर्णन किया है- (क) अन्त: धौति  (ख) दन्त धौति (ग) हृद धौति (घ) मूलशोधन (क) अन्त: धौति-   अन्त:का अर्थ आंतरिक या भीतरी तथा धौति का अर्थ है धोना या सफाई करना। वस्तुत: शरीर और मन को विकार रहित बनाने के लिए शुद्धिकरण अत्यन्त आवश्यक है। अन्त: करण की शुद्धि के लिए चार प्रकार की अन्त: धौति बताई गई है- 1. वातसार अन्त: धौति 2. वारिसार अन्त: धौति 3. अग्निसार अन्त: धौति 4. बहिष्कृत अन्त: धौति 1. वातसार अन्त: धौति-  वात अर्थात वायु तत्व या हवा से अन्तःकरण की सफाई करना ही वातसार अन्त: धौति है। महर्षि ...

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