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Logical Reasoning MCQs with Answers (Set-1)

 

1. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है, यदि "सभी पक्षी उड़ते हैं" कथन गलत है?





ANSWER= (D) कुछ पक्षी नहीं उड़ते।

 

2. यदि कथन है: "सभी डॉक्टर ईमानदार हैं" और निष्कर्ष है: "कोई भी डॉक्टर बेईमान नहीं है", तो निष्कर्ष किस प्रकार का होगा?





ANSWER= (A) सत्य

 

3. एक परीक्षा में राकेश का स्थान ऊपर से 12वां और नीचे से 18वां है। परीक्षा में कुल कितने छात्र हैं?





ANSWER= (B) 29

 

4. एक पुरुष की ओर इशारा करते हुए एक महिला कहती है, "वह मेरे भाई के पिता का इकलौता पुत्र है।" पुरुष का महिला से क्या संबंध है?





ANSWER= (A) पिता

 

5. यदि 'A' का अर्थ है '+', 'B' का अर्थ है '−', 'C' का अर्थ है '×' और 'D' का अर्थ है '÷', तो निम्नलिखित का मान क्या होगा? 24 C 2 A 6 B 4 D 224 \ C \ 2 \ A \ 6 \ B \ 4 \ D \ 224 C 2 A 6 B 4 D 2





ANSWER= (B) 28

 

6. यदि 'APPLE' को 'ELPPA' लिखा जाता है, तो 'ORANGE' का विपर्यस्त रूप क्या होगा?





ANSWER= (A) EGNARO

 

7. एक समीकरण में 5 का अर्थ 2, 2 का अर्थ 8 और 8 का अर्थ 5 हो, तो 5+2−85 + 2 - 85+2−8 का मान क्या होगा?





ANSWER= (B) 2

 

8. यदि 'P' का अर्थ है '×', 'Q' का अर्थ है '+', और 'R' का अर्थ है '−', तो निम्नलिखित समीकरण का मान क्या होगा? 12 P 3 Q 6 R 412 \ P \ 3 \ Q \ 6 \ R \ 412 P 3 Q 6 R 4





ANSWER= (C) 34

 

9. एक व्यक्ति उत्तर की ओर चलता है, फिर बाएं मुड़ता है और 5 किमी चलता है। इसके बाद वह फिर बाएं मुड़ता है और 3 किमी चलता है। व्यक्ति अब किस दिशा में है?





ANSWER= (A) दक्षिण

 

10. यदि AAA का अर्थ है 222, BBB का अर्थ है 333, CCC का अर्थ है 444, तो ABCABCABC का मान क्या होगा?





ANSWER= (C) 12

 





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हठयोग प्रदीपिका में वर्णित प्राणायाम

हठयोग प्रदीपिका में प्राणायाम को कुम्भक कहा है, स्वामी स्वात्माराम जी ने प्राणायामों का वर्णन करते हुए कहा है - सूर्यभेदनमुज्जायी सीत्कारी शीतल्री तथा।  भस्त्रिका भ्रामरी मूर्च्छा प्लाविनीत्यष्टकुंम्भका:।। (हठयोगप्रदीपिका- 2/44) अर्थात् - सूर्यभेदन, उज्जायी, सीत्कारी, शीतली, भस्त्रिका, भ्रामरी, मूर्छा और प्लाविनी में आठ प्रकार के कुम्भक (प्राणायाम) है। इनका वर्णन ऩिम्न प्रकार है 1. सूर्यभेदी प्राणायाम - हठयोग प्रदीपिका में सूर्यभेदन या सूर्यभेदी प्राणायाम का वर्णन इस प्रकार किया गया है - आसने सुखदे योगी बदध्वा चैवासनं ततः।  दक्षनाड्या समाकृष्य बहिस्थं पवन शनै:।।  आकेशादानखाग्राच्च निरोधावधि क्रुंभयेत। ततः शनैः सव्य नाड्या रेचयेत् पवन शनै:।। (ह.प्र. 2/48/49) अर्थात- पवित्र और समतल स्थान में उपयुक्त आसन बिछाकर उसके ऊपर पद्मासन, स्वस्तिकासन आदि किसी आसन में सुखपूर्वक मेरुदण्ड, गर्दन और सिर को सीधा रखते हुए बैठेै। फिर दाहिने नासारन्ध्र अर्थात पिंगला नाडी से शनैः शनैः पूरक करें। आभ्यन्तर कुम्भक करें। कुम्भक के समय मूलबन्ध व जालन्धरबन्ध लगा कर रखें।  यथा शक्ति कुम्भक के प...